For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिखो किसी भी शिल्प में, मोटा लिखो महीन । 
कलम चले पर इस  तरह, पीड़ित  करे यकीन ॥01॥  
  
रिश्तों   के   पर्वत  किए,  हरियाली   से  हीन । 
चाह   रहा   शीतल  हवा,  कैसा   मूरख  दीन ॥02॥  
 
बंधन   तो  था  जनम  का, हुआ बीच में भंग । 
कैसे   चलता   दूर   तक, धुंध - धूप का  संग ॥03॥   
 
पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों में तरु सज रहे, बट - पीपल  भयभीत ॥04॥
 
- शून्य आकांक्षी   
अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 15, 2017 at 12:18am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी,
आपको दोहे पसंद आए | मेरा लेखन सफल हुआ | प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद जी | 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on September 24, 2016 at 12:31am

 डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,
आपको दोहे अच्छे लगे, यह जानकर प्रसन्नता हुई । आपका हार्दिक धन्यवाद । 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on October 9, 2014 at 8:23am
आपकी टिप्पणी से मन मुदित हुआ । सुखद अनुभूति हुई । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । 
Comment by Santlal Karun on September 27, 2014 at 8:38pm

आदरणीय उपाध्याय जी,

आप ने अर्थपूर्ण दोहे प्रस्तुत किए हैं, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ---

"पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों में तरु सज रहे, बट - पीपल  भयभीत ॥"

Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:40pm

दोहे अच्छे लगे। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 27, 2014 at 7:48am

आदरणीय उपाध्याय जी बहुत अच्छी दोहावली है बहुत बहुत बधाई

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 26, 2014 at 2:21pm
पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों में तरु सज रहे, बट - पीपल  भयभीत ॥
 बहुत सुंदर बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on September 26, 2014 at 10:13am

बहुत सुंदर दोहें हार्दिक बधाई स्वीकार करें .....................

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on September 26, 2014 at 8:10am
आपके स्वागत से मैं बहुत अभिभूत हूँ  rajesh kumari जी ........ आपके द्वारा दोहों पर की गयी प्रशंसात्मक टिप्पणी मेरे लिए बहुत महत्व रखती है । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 5:18pm

सर्वप्रथम तो ओबिओ पर आपका हार्दिक स्वागत है आ० सी एम् उपाध्याय जी बहुत अच्छा लगा आपको यहाँ देखकर |

दोहों के लिए तो वाह ,,,वाह....बस  वाह  ....ढेरों बधाई आपको इन शानदार सार्थक दोहों के लिए  

बंधन   तो  था  जनम  का, हुआ बीच में भंग । 
कैसे   चलता   दूर   तक, धुंध - धूप का  संग ॥03॥   
 इस दोहे के लिए तो विशेष बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service