For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाओ पथिक तुम जाओ ... (विजय निकोर)

जाओ पथिक तुम जाओ

(किसी महिला के घर छोड़ जाने पर लिखी गई रचना)

पैरों तले जलती गरम रेत-से

अमानवीय अनुभवों के स्पर्श

परिवर्तन के बवन्डर की धूल में

मिट गईं बनी-अधबनी पगडंडियाँ

ज़िन्दगी की

परिणति-पीड़ा के आवेशों में

मिटती दर्दीली पुरानी पहचानें

छूटते घर को मुड़ कर देखती

बड़े-बड़े दर्द भरी, पर खाली

बेचैनी की आँखें

माँ के लिए  कांपती

अटकती एक और पागल पुकार

इस पर भी न हो उदास पथिक

तुम्हें करना है प्रतिपल पूरा प्रयास

बढ़ना है जैसे हो तुम अग्निरथ

तत्पर है प्राची में सूरज

ज्योतित करने को पथ

जाओ पथिक तुम जाओ, उदास न हो

समय नहीं है अननुभवी भूलों के

खुरदुरे तजुर्बों के गणित का अब

दुख, निराशा और नीरवता को तज

जाओ तुम नभ की सीमा को छू आओ

माना, दीखता नहीं कोई सपना अब अपना

पर न-अपनों से अनजाना-अनपहचाना

है कोई शुभचिंतक, कोई एक अपना

दीप्तिमान कर रहा है पथ को तुम्हारे

गिन रहा है अपनी साँसें, साँसों से तुम्हारी

आशा का दूत है वह

सत्य उसके सतही नहीं हैं

अन्त:स्तल में विराजा

यह आत्म-धन

आत्म-विश्वास है तुम्हारा

जाओ पथिक, जाओ अब तुम

लहरीली गति से बढ़ते जाओ

हर तिथि अर्थपूर्ण, महत्वपूर्ण  करो

पथिक, तुम निर्भीक बढ़ते जाओ

आज नभ की सीमा को छू आओ ...

            -----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 20, 2014 at 8:30am

आपकी रचना में सदा ही गहन अनुभव से भाव पक्ष की प्रबलता एक सहजता ली हुई होती है आदरणीय विजय जी. सादर नमन आपकी लेखनी को

Comment by Vindu Babu on September 20, 2014 at 7:44am
सादर प्रणाम आदरणीय.

आज एक बड़े अंतराल के बाद आपकी रचनाओं का रसास्वादन करने का सौभाग्य मिल पाया है. ठहराव देती हुई यह रचना हृदय में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार करती है.

टूटी आशा को पुनर्जीवित करने की प्रेरणा देना तो आपकी सहज स्वाभाविकता है. लेखनी रचनाकार के व्यक्तित्व का परिचायक होती है,जैसे यह रचना भटूटी आशा को पुनर्जीवित करने की प्रेरणा देना तो आपकी सहज स्वाभाविकता है. लेखनी रचनाकार के व्यक्तित्व का पर
Comment by Priyanka singh on September 19, 2014 at 1:51pm

आदरणीय सर 

हर बार की तरह इस बार बी कमाल का लिखा है आपने .... की क्या खूब भाव दिए हैं आपने ...इस कदर किसी के मन को पढना बेहद खुबसूरत ह्रदय वाला इन्सान ही कर सकता है ...गहरायी के साथ ...दिल के दर्द को बड़ी सहजता से उकेरा है आपने .....नमन आपकी लेखनी को .....

Comment by Shyam Narain Verma on September 19, 2014 at 12:49pm

" बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई  "

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 19, 2014 at 11:20am
पैरों तले जलती गरम रेत-से
अमानवीय अनुभवों के स्पर्श
परिवर्तन के बवन्डर की धूल में
मिट गईं बनी-अधबनी पगडंडियाँ
गहरे अर्थों की इस सुन्दर रचना के लिए बहुत सारी बधाइयां आदरणीय विजय निकोर जी .
Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 18, 2014 at 11:22pm

आशा और विश्वास भरा भाव ,बहुत सुन्दर आदरणीय विजय निकोर जी.
पथिक, तुम निर्भीक बढ़ते जाओ
आज नभ की सीमा को छू आओ

बहुत बधाइयाँ !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service