For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2121 222 2121 222
 

मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं। 

 

छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर,

तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं। 

 

सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का,

तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं।

 

मेघों ने बिछाया है, श्याम रंग का आँचल,

रात हर अमावस है, सो गए सितारे हैं।

 

सब्ज़ रंगी सावन ने, सींच दिया है जीवन,

बूँद-बूँद बारिश ने, मन-चमन सँवारे हैं।

 

भर दिये हैं रिमझिम ने, प्रेम रंग जन-जन में

मन को बहलाने के, ये सुखद सहारे हैं।

 

भाव रंग बरखा के, गा रहे सुमंगल गीत,

धार-धार अमृत से, तृप्त स्रोत सारे हैं।

 

ज्यों बदलते मौसम हैं, रंग भी बदल जाते,

‘कल्पना’ जुड़े इनसे, शुभ दिवस हमारे हैं।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 452

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2014 at 11:33pm

छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर,

तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं। 

 

सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का,

तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं।

ऐसे शेरों के माध्यम से बरसात के मौसम को ग़ज़ल के साँचे में बखूबी उतारने की कोशिश हुई है, आदरणीया कल्पना जी.

सादर बधाई स्वीकार करें.

Comment by कल्पना रामानी on July 7, 2014 at 10:29pm

आप सब मित्रों ने मानसून का खूब आनंद लिया, प्रोत्साहित करने के लिए आप सबका हार्दिक आभार

Comment by बृजेश नीरज on July 7, 2014 at 8:31pm

वाह! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल! वर्षा ऋतु का पूरा आनंद आ गया! आपको बहुत-बहुत बधाई दीदी!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 6, 2014 at 5:42pm

सुंदर रचना 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2014 at 4:58pm

आदरणीया कल्पना जी वाह बहुत ही सुन्दर बरसाती ग़ज़ल कही है आपने पढ़कर भीगा भीगा महसूस कर रहा हूँ दिल से बधाई प्रेषित है स्वीकार कीजिये.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2014 at 11:04am

सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का,

तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं......बहुत सुंदर, बधाई स्वीकारें आदरणीया कल्पना जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2014 at 9:35pm

आ0 रामानी दी'जी,   //मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं। // ---सुन्दर गजल। बधाई स्वीकारें । सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2014 at 8:59pm

वाह.. वाह... बरसात के मौसम का कितना खूबसूरत चित्र उकेरा है आपने बहुत सुन्दर आ० कल्पना दी हार्दिक बधाई आपको |

Comment by parul 'pankhuri' on July 5, 2014 at 4:37pm

वाह ! अत्यंत सुन्दर गजल  !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 5, 2014 at 12:59pm

   महनीया 

अतीव सुन्दर i

मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं। 

छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर,

तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं। 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
29 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
29 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
31 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service