For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखा जब भी जाम मेरे हाथों रूठे

2222    2112  2 222

देखा जब भी जाम मेरे हाथों रूठे

कोई तो समझाए उन्हें दिल भी टूटे

हमसे कहते यार कभी भी मत पीना

खुद पीते मयख्वार  बड़े ही हैं झूठे

यारों अपने पास नशे की वो दौलत

चोरी करता चोर नहीं डाकू लूटे

माया ममता त्याग कठिन होता कितना

मय जब उतरे यार गले सब कुछ छूटे

हमको ये मालूम हुआ मैखाने आ

कहकर मय को शेख बुरा मस्ती लूटे

मैखाने से देख निकलना मयकश का

डगमग डगमग डिगे कदम सर भी फूटे 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 4:18pm

क्यों नहीं .. रदीफ़ रहे तो शिल्प बेहतर दीखता है.. आपकी इस ग़ज़ल में और के अलावे अन्य अक्षर नहीं हैं. जबकि अन्य अक्षर लिये जा सकते थे .. मगर फिर ह शेर कैसा लगता आपको भी मालूम है. यही कहना है मेरा..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 3:12pm

आदरणीय सौरभ सर ..कृपा करके बताने का कष्ट करें क्या ऐ की मात्रा को बतौर काफिया लिया जा सकता है की नहीं ..बैसे आदरणीय शिज्जू जी के मार्गदर्षन के अनुरूप बहर में उनके सुझाव के अनुरूप परिवर्तन करने काप्रयास  कर रहा हूँ .आदरणीय सर आपसे हर दिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता है आपका ये आशीर्वाद हम जैसे ग़ज़ल की राह पर चलने वाले नए मुसाफिरों के लिए प्रेरणा होता है ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 3:18am

की मात्रा को काफ़िया माना है आपने !

Comment by Meena Pathak on May 19, 2014 at 8:39am

सुन्दर गज़ल हेतु बधाई स्वीकारें.. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 17, 2014 at 5:21pm

आदरणीय आशुतोष भाई , गज़ल सुन्दर कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । बह्र के विषय मे आदरणीय शिज्जू भाई जी से मै भी सहमत हूँ ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 1:58pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..बस आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे ..हार्दिक धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 1:57pm

अरुण जी ...हौसला अफजाई केलिए तहे दिल धन्यवाद ..आप सबकी प्रतिक्रियाओं से ही मैं निरंतर अपने रचनाओं में सुधार कर पा रहा हूँ ..बस यू ही स्नेह बनाए रखें सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 1:55pm

आदरणीय शिज्जू जी ..आपके सुझाव पर अमल जरूर करूंगा ..बहर परिवर्तन के बिषय में आपसे चर्चा भी करूंगा ...आप मेरी रचना पर मुझे बस इसी तरह आगाह करते रहे ताकी अगली रचना उस दोष से मुक्त हो सके ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 1:50pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद .सदर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 16, 2014 at 10:47pm

यारों अपने पास नशे की वो दौलत

चोरी करता चोर नहीं डाकू लूटे............वाह! क्या बात कही, बधाई आदरणीय डा.आशुतोष जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
20 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service