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मजदूर दिवस : काश ऐसा न होता...

रात अंधड़ में 
छितराए फूस के छप्पर को 
करना है दुरस्त
लेकिन समय कहाँ
अभी तो जाना है काम पर 

फिरसे फूल आये पेट में 
कुलबुला रहा है जीव 
अनमनी सी कराह रही घरवाली
रांध नही पाती भात...

भूखे पेट पैडल मारता भूरा 
टुटही साइकिल खींच रहा 
ससुरी चैन साईकिल की 
काहे उतरती बार-बार
भूरा बेबस-लाचार, 
ठीकेदार का मुंशी भगा देगा उसे 
जो देर से पहुंचा वो...
लड़ भी तो नही सकता 
भगा दिया गया तो 
डूब जायेगी तीन माह की मजूरी 

भूरा नही जानता 
कि आज मजदूर दिवस है 
आज तमाम मजदूर-विरोधी प्रतिष्ठानों में 
मजदूरों के योगदान और बलिदान पर 
बोलेंगे अभिजात्य मजदूर नेता 
और शोषक धन्नासेठ मालिक...

(मौलिक अप्रकाशित ) 

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Comment by Satyanarayan Singh on May 29, 2014 at 9:55pm

इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु ह्रदय से अभिनन्दन स्वीकार करें आदरणीय 


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Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2014 at 3:01am

ऐसे ही पाखण्डों पर कविता का यह स्वरूप प्रहार करे. धरती की महक से गमक रही इस कविता पर दिल से बधाई, आदरणीय सुहैल भाई.

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 4, 2014 at 12:44pm

एक मेहनतकश मजदूर की वेदना बयाँ करती रचना प्रस्तुति के लिए बधाई श्री अनवर सुहैल भाई 

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:42am

बहुत कड़वी सच्चाई है...सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 3, 2014 at 11:06am

आदरणीय सुहैल भाई, एक मजदूर की विवस्ता को भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए कोटि कोटि नमन .

Comment by Gajendra shrotriya on May 2, 2014 at 10:49pm

विशेष सन्दर्भ को इंगित करती एक सशक्त और सार्थक रचना के लिये दिल से बधाई आदरणीय anwar suhail साहब। कवि मन में इस प्रकार के ज्वलंत विषयो का प्रस्फुटन पुरातन से आधुनिक काल तक समाज को नई सोच और दिशा देता रहा है। यही भाव बनाये रखें।  शुभकामनाएँ। 

Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2014 at 7:46pm

आदरणीय सुहैल भाई  ,बहुत अच्छे चित्र खींचे है आपने, रचना के माध्यम से मज़दूरों के दर्द को बयाँ किया है  ढेरों शुभकामनायें ...


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2014 at 4:56pm

सच्चाई बयान करती कविता हममें से कई लोगों को तो मालूम ही नहीं है कि हमारे अधिकार क्या हैं यदि जागरुकता आ जाये तो शोषण में कमी आ सकती है आदरणीय सुहैल सर रचना के कथ्य के लिये बहुत बहुत बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2014 at 4:32pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ

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