For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ‘ कल तलक था बुलंदियो पर वो ‘ --- 'चिराग'

2122 1212 22

 

कौन जीता है कौन हारा है

मौत ने कर दिया इशारा है

 

कल तलक था बुलंदियो पर वो

आज क़िस्मत ने उसको मारा है

 

मेरी हिम्मत न टूटने देना

मेरे मौला तेरा सहारा है

 

माँग लो जो भी माँगना तुमको

सामने टूटता वो तारा है

 

बेवफ़ाई से हो गया पागल

प्यार को कब मिला किनारा है

 

छोड़ दो मारते उसे क्यों हो

मुफ़लिसी, वक़्त का वो मारा है

 

खा के देखूं तो शादी का लड्डू

सोचता बस यही कुँवारा है

 

लूला, लंगड़ा भले अपाहिज हो

माँ को बेटा सदा दुलारा है

 

रौशनी कम हुई 'चिराग' की अब

धुंधला-धुंधला सा बस नज़ारा है

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 15, 2014 at 1:04pm

शुक्रिया सत्य नारायण जी

Comment by Satyanarayan Singh on May 9, 2014 at 4:23pm
इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारे आदरणीय मुकेश जी
Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 3, 2014 at 6:35pm

आदरणीय जितेंद्र जी
शुक्रिया आपका

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2014 at 12:12am

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय मुकेश जी

माँग लो जो भी माँगना तुमको

सामने टूटता वो तारा है..................बहुत सुंदर ख्याल. दिली बधाई आपको

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 30, 2014 at 10:26pm

आदरणीय सिज़्जु जी
हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 30, 2014 at 10:17am

//कल तलक था बुलंदियो पर वो

आज क़िस्मत ने उसको मारा है//  

आदरणीय मुकेश भाई बहुत खूब वाह दिली दाद कुबूल करें

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 30, 2014 at 8:33am

आदरणीया राजेश कुमारी जी
हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2014 at 8:04pm

खा के देखूं तो शादी का लड्डू

सोचता बस यही कुँवारा है------जरूर खाओ सोचना क्या ...वाह्ह 

 

लूला, लंगड़ा भले अपाहिज हो

माँ को बेटा सदा दुलारा है-----जबरदस्त भाव ...एक दम सच 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई चिराग जी सभी शेर सुन्दर बने हैं ...दिली दाद कबूलिये .

 

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 29, 2014 at 4:23pm

आदरणीय रमेश जी
शुक्रिया आपका

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 29, 2014 at 2:58pm

रौशनी कम हुई 'चिराग' की अब

धुंधला-धुंधला सा बस नज़ारा है-------------बढि़या
सफल प्रयास के बधाई आदरणीय मुकेशजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service