For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : रमल मुसम्मन महजूफ

वज्न : २१२२, २१२२, २१२२, २१२

मध्य अपने आग जो जलती नहीं संदेह की,
टूट कर दो भाग में बँटती नहीं इक जिंदगी.

हम गलतफहमी मिटाने की न कोशिश कर सके,
कुछ समय का दोष था कुछ आपसी नाराजगी,

आज क्यों इतनी कमी खलने लगी है आपको,
कल तलक मेरी नहीं स्वीकार थी मौजूदगी,

यूँ धराशायी नहीं ये स्वप्न होते टूटकर,
आखिरी क्षण तक नहीं बहती ये आँखों की नदी,

रात भर करवट बदलना याद करना रात भर,
एक अरसे से यही करवा रही है बेबसी.

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 845

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 9:14pm

मध्य अपने आग जो जलती नहीं संदेह की,
टूट कर दो भाग में बँटती नहीं इक जिंदगी.

स्नेही अनन्त जी सुन्दर 

सादर 

बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 20, 2014 at 8:09pm

आदरणीय अरुण भाई काफी दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली है, हर शेर लाजवाब है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Maheshwari Kaneri on April 20, 2014 at 7:27pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल ....... आदरणीय अरुण जी 

Comment by ram shiromani pathak on April 20, 2014 at 2:30pm

यूँ धराशायी नहीं ये स्वप्न होते टूटकर,
आखिरी क्षण तक नहीं बहती निगाहों की नदी,

रात भर करवट बदलना याद करना रात भर,
एक अरसे से यही करवा रही है बेबसी./////////////////वाह वाह वाह क्या कहने आदरणीय भाई जी,बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 20, 2014 at 11:58am

आदरणीय भाई अरुण अनंत जी एक लाज़वाब ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

हम गलतफहमी मिटाने की न कोशिश कर सके,
कुछ समय का दोष था कुछ आपसी नाराजगी --- बहुत खूब

Comment by Saarthi Baidyanath on April 20, 2014 at 11:21am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय , अरकान का जिक्र शायद जरूरी था यहां ! ...ग़ज़ल के सारे शे'र खुबसूरत हैं ..दिली दादो-मुबारकबाद कबूल करें 

आज क्यों इतनी कमी खलने लगी है आपको, 
कल तलक मेरी नहीं स्वीकार थी मौजूदगी...वाह जनाब 

Comment by vandana on April 20, 2014 at 6:04am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल ....... आदरणीय अरुण जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 20, 2014 at 12:19am

लाजवाब गजल कही आदरणीय अरुण अनंत जी, हर एक शेर जिंदाबाद. तहे दिल से बधाइयाँ आपको

Comment by Neeraj Neer on April 19, 2014 at 9:02pm

वाह बहुत सुन्दर अरुण भाई .. बेहतरीन ग़ज़ल.. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 19, 2014 at 8:43pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , बहुत लाजवाब ग़ज़ल कही है , सभी शे र बहुत बढिया कहे ! आपको बहुत बहुत बधाइयाँ !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
43 seconds ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
3 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
14 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | "
52 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"पद्य के प्रयास में हो, छंद की शुभकामना, मानिए कि शुद्ध-शुद्ध, कविताई हो गयी  शब्द…"
53 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है... क्या बात है ..  जय हो.. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी, तीन छंदों का प्रयास, चाहिए तो होना खास, तभी पद्य…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
" इस अनुमोदन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी। शब्दों की इस हेर फेर से गेयता निश्चय ही बहुत…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"इस अनुमोदन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी। तीसरी पंक्ति को लेकर आपके भाव सुंदर और स्पष्ट…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service