For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खेला नया हर पल ही रचाती है जिन्दगी |

2212     2211     221     212 

पल में रुलाती पल में हँसाती है जिन्दगी
खेला नया हर पल ही रचाती है जिन्दगी |


ऐ नौजवानों देश के इतिहास अब रचो
हर रोज ही इक पाठ सिखाती है जिन्दगी | 


टूटे हैं जो विश्वास कहीं आइने से अब
फिर रोज क्यों विश्वास दिलाती है जिन्दगी ?


गुलशन कभी पतझड़ कभी मेरी है बगिया में
कैसे कहाँ क्या रंग दिखाती है जिन्दगी |


जब भी विचारों में घुली हैं रंजिशें यहाँ
ऐसे विचारों से जहर पिलाती है जिन्दगी |


माहौल का है ऐसा हुआ कुछ अभी असर
गुल रोज ही अब एक खिलाती है जिन्दगी |


हम हों कहीं भी झुकते नहीं हैं कभी मगर
अपनों के आगे हमको झुकाती है जिन्दगी |
....................................................

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 27, 2014 at 5:16pm

आदरणीया सरिता जी , सुन्दर ग़ज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ !!  ये बहर मान्य बह्र है या नही इसमे शंका है , किसी जानकार का इंतिज़ार करना चाहिये !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 27, 2014 at 2:12pm

जीवन को परिभाषित करने का सुन्दर प्रयास किया है आपने बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 27, 2014 at 2:12pm

आदरणीया सरिताजी,

जीवन के उतार चढ़ाव को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया है , हार्दिक बधाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 26, 2014 at 10:37am

बहुत सुंदर गजल कही आपने आदरणीया सरिता जी

टूटे हैं जो विश्वास कहीं आइने से अब
फिर रोज क्यों विश्वास दिलाती है जिन्दगी ?............इस शेर पर ढेरों बधाई स्वीकारें

Comment by Sarita Bhatia on March 26, 2014 at 10:22am

आदरणीय भुवन जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 26, 2014 at 10:21am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 26, 2014 at 10:20am

आदरणीय दी कल्पना जी हार्दिक आभार स्नेह बनाये रखें 

मैंने सुधार कर लिया है आपने सही कहा अब इसे ऐसे पढ़ें 

जब भी विचारों में घुली हैं रंजिशें यहाँ
ऐसे विचारों से ही मिटाती है जिन्दगी |

Comment by Sarita Bhatia on March 26, 2014 at 10:18am

आदरणीय अभिनव जी हार्दिक आभार ..सादर 

Comment by Sarita Bhatia on March 26, 2014 at 10:17am

जी मुकेश जी हार्दिक आभार ,जी मौलिक नहीं है 

Comment by भुवन निस्तेज on March 25, 2014 at 11:43pm

आदरणीया बहुत ही खूबसूरत भाव हैं आप के....

हम हों कहीं भी झुकते नहीं हैं कभी मगर 
अपनों के आगे हमको झुकाती है जिन्दगी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service