For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ कह-मुकरियाँ ..............डॉ० प्राची

क़दमों में दे बहकी थिरकन

महकी नम सी चंचल सिहरन  

बाँहों भर ले, रच कर साजिश 

क्या सखि साजन? न सखि बारिश 

हर पल उसने साथ निभाया 

संग चले बन कर हम साया 

रंग रसिक नें उमर लजाई 

क्या सखि साजन? न सखि डाई

चाहे मीठे चाहे खारे 

राज़ पता हैं उसको सारे 

खोल न डाले राज़, हाय री ! 

क्या सखि साजन? न सखि डायरी 

उसने सारे बंध सँजोए

अंक समेटे प्रेम पिरोए 

ज़िंदा है यादों से हरदम 

क्या सखि साजन? न सखि एल्बम 

आँसू देखे, झट गल जाए 

रख लूँ उसको नयन बसाए 

रूप निखारे कंचन कंचन 

क्या सखि साजन? न सखि अंजन 

 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1241

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on February 22, 2014 at 9:44pm

//समूह में बच्चों के साथ खेलने के लिए अच्छी  पहेली है ॥//

आपकी टिप्प्णी की इस पंक्ति ने मुझे बहुत ही हैरान और निराश किया है आ० अखिलेश श्रीवास्तव जी.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 22, 2014 at 9:23pm

आदरणीया प्राचीजी, 

सभी मुकरियाँ लाजवाब हैं , मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें । उम्मीद है आगे और भी  पढ़ने मिले , समूह में बच्चों के साथ खेलने के लिए अच्छी  पहेली है ॥ अंतिम के लिए विशेष बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 22, 2014 at 7:41pm

प्रिय प्राची बहुत सुन्दर कहमुकरियाँ रची हैं छ दिन बाद नेट स्टार्ट हुआ अतः रचना पर देर से आना हुआ ,बहुत बहुत बधाई इस  सुन्दर प्रस्तुति पर| 

Comment by कल्पना रामानी on February 22, 2014 at 7:03pm

आदरणीया, अब बढ़िया हो गईं। सब एक से एक हैं। एल्बम और डाई वाली विशेष पसंद आईं।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 22, 2014 at 5:26pm

आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय 

कह-मुकरियों की इस प्रस्तुति पर आपकी मुखर सराहना मुझे किसी पारितोषिक को प्राप्त कर गर्वित महसूस करने का सुअवसर दे रही है... कह मुकरियों के आधुनिक पुरोधा के तौर पर हम सब आपको पहचानते हैं और आपको यदि यह प्रयास पसंद आया तो इन मुकरिया का होना ही सफल समझ रही हूँ.

सादर धन्यवाद आदरणीय.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 22, 2014 at 5:09pm

आदरणीय जितेन्द्र गीत जी, आ० नीरज जी , आ० लक्ष्मण जी , आ० श्याम नारायण वर्मा जी, राम शिरोमणि जी 

इन कह्मुकारियों पर आपकी सराह्नात्मक टिप्पणी के लिए सादर धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 22, 2014 at 5:08pm

आदरणीया कल्पना जी 

कहमुकारियों पर आपकी उदात्त सराहना के लिए हृदयतल से आपकी आभारी हूँ... डायरी वाली मुकरी में कुछ परिवर्तन किया है, अब देखें 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 22, 2014 at 5:01pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी 

आपके , आ० कल्पना जी के और आ० अरुण निगम जी के ...गहरी और डायरी शब्द की गेयता पर इंगित के बाद बहुत देर तक कल इस पंक्ति को सोचती रही....

डायरी शब्द के साथ यदि सिर्फ 'अरी' की तुकांतता मिला कर गेयता हर शब्द के साथ बाधित ही प्रतीत हो रही है... तो इसकी तुकांतता 'आयरी' के साथ ही मिलानी होगी...

मुकरी में परिवर्तन किया है..अवलोकन करके अपनी राय अवश्य ही दें 

सादर.

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 4:31pm

बहुत ही प्यारी कह-मुकरियाँ आदरणीया प्राची जी  ,हार्दिक बधाई आपको  //सादर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on February 22, 2014 at 4:07pm

आ० डॉ प्राची सिंह जी, इतनी उत्कृष्ट कह-मुकरियाँ पढ़कर मंत्रमुग्ध हूँ ! हर रचना अपनी मिसाल आप है, इस विधा के मूल सवरूप को अक्षुण्ण रख आपने जिस तरह से उच्चकोटि की लालित्यपूर्ण कह-मुकरियाँ रची हैं वह हर किसी के बस की बात नहीं। मेरी दिली बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service