For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दिले-ग़ालिब कहाँ से लाओगे

आज मजलूम को सताओगे

बददुआ सात जन्म पाओगे

 

बह्र ग़ालिब की खूब लिख डालो

दिले-ग़ालिब कहाँ से लाओगे

 

खुद को भगवान मान  बैठेगा

हद से ज्यादा जो सिर झुकाओगे

 

आज साहब बने हो रैली में

कल तुम्हीं झुनझुना बजाओगे

 

खूब खोजी बने थे हाकिम के

अब हुनर जेल में दिखाओगे

 

अमित दुबे मौलिक व अप्रकाशित

Views: 779

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमित वागर्थ on March 24, 2014 at 12:02pm

आप सभी सुधीजनों का ग़ज़ल अनुमोदन हेतु ह्रदय से आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2014 at 7:00pm

आखीरी शेर पर और समय दिया जाता  .. अन्य अश’आर के लिए बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 12:44pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आ० अमित जी 

बह्र ग़ालिब की खूब लिख डालो

दिले-ग़ालिब कहाँ से लाओगे...................वाह ! 

 

आज साहब बने हो रैली में

कल तुम्हीं झुनझुना बजाओगे................येभी बहुत बढ़िया 

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 23, 2014 at 7:39pm

वाह कमाल की ग़ज़ल ..आनंद आ अगया ..अमित जी तहे दिल बधाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 4:42pm

 आदरणीय अमित भाई , सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइ.

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2014 at 3:31pm
बहुत सुन्दर गज़ल ..................
Comment by ajay sharma on February 21, 2014 at 11:13pm

waqt -e- halaat pe khoobsoorat gazal kahi hai ....

Comment by बृजेश नीरज on February 21, 2014 at 7:50pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 20, 2014 at 11:25pm

खुद को भगवन मान बैठेगा

हद से ज्यादा जो सिर झुकाओगे...........वाह! कटु सत्य लिए हुए

हार्दिक बधाई आदरणीय अमित जी

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 20, 2014 at 10:55pm

आदरणीय अमित भाई , एक  अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"इस पटल के लघुकथाकार अपनी प्रस्तुतियों के साथ उपस्थित हों"
27 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"उत्साहदायी शब्दों के लिए आभार आदरणीय गिरिराज जी"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आदरणीय अजयन  भाई , परिवर्तन के बाद ग़ज़ल अच्छी हो गयी है  , हार्दिक बधाईयाँ "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आदरणीय अजय भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ,  क्यों दोष किसी को देते हैं, क्यों नाम किसी…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. नीलेश भाई बेहद  कठिन रदीफ  पर आपंर अच्छी  ग़ज़ल कही है , दिली बधाईयाँ "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. नीलेश भाई , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ,सभी शेर एक से बढ कर एक हैं , हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )

१२२२    १२२२     १२२२      १२२मेरा घेरा ये बाहों का तेरा बन्धन नहीं हैइसे तू तोड़ के जाये मुझे अड़चन…See More
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं

मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं मगर पाण्डव हैं मुट्ठी भर, खड़े हैं. .हम इतनी बार जो गिर कर खड़े हैं…See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)

देखे जो एक दिन का भी जीना किसान का समझे तू कितना सख़्त है सीना किसान का मिट्टी नहीं अनाज उगलती है…See More
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service