For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज

तुम्हारा प्यार

बना रहा साथ मेरे

साये की तरह

चलता रहा साथ

जहां-जहां मैं गई ।

देता रहा दिलासा

अकेले उदास मन को

जैसे तुम देते थे

मेरे कंधे पर प्यार से थपकी

उसी तरह का दुलार

आज फिर महसूस किया मैंने

जब सांझ की उतरती

गहरी उदासी ने

घेर लिया मन को मेरे ।

तुम ही नहीं

तुम्हारा प्यार भी जानता था

कि सांझ,

मुझे उदास कर देती है ?

शायद इसीलिए,

साये की तरह

चलता रहा साथ

जहां-जहां मैं गई |

मोहिनी चोरडिया, चेन्नई 

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 11:39am

मन डूबता-उतराता रहा, आदरणीया मोहिनीजी. आपकी हृदयस्पर्शी भावनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद. कोमल भावोद्गारों को गहराई से शब्द मिले हैं.

हृदय से बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 9:48pm

मर्मस्पर्शी भावनाएं अभिव्यक हुई हैं सीधे दिल तक पहुँच रही है 

इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आ० मोहिनी जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 11:54am

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीया भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on January 22, 2014 at 8:00am

कोमल भावों की सुन्दर अभिवयक्ति। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:28pm

सुन्दर एहसासों से सज़ी .....सुन्दर रचना ....बधाई आपको .....

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 21, 2014 at 7:41am

आदरणीया मोहिनी बहन, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये हार्दिक बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2014 at 10:20pm

वाह वाह , आदरणीया मोहिनी जी , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2014 at 7:27pm

तुम्हारा प्यार भी जानता था

कि सांझ,

मुझे उदास कर देती है ?

शायद इसीलिए,

साये की तरह

चलता रहा साथ

जहां-जहां मैं गई |....wah bahut khoob...aik meethee see kashish kee sundr rachna...haardik badhaaee

Comment by coontee mukerji on January 20, 2014 at 3:10pm

सुंदर अभिव्यक्त....सादर

Comment by Meena Pathak on January 20, 2014 at 1:56pm

बहुत सुन्दर , भावपूर्ण रचना | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service