For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में (गीत).

धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
क्रांतिकारियों ने जो बलिदान है दिया 
निज देश पे हर बात को कुर्बान कर दिया 
हम छांव में खड़े थे वो चले थे धूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
बयानबाजियों से कभी हल नहीं कोई 
उंगली उठा के दूजे पे सफल नहीं कोई 
फर्क प्रजातंत्र  में न रंक ओ भूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
देश है तो राज और ये नीति  सब सही 
कुर्सियों से प्रेम दल से प्रीति सब सही 
बिन देश कौन रह सका है रंगो-रूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
अमन परस्ती की है  पहचान हमारी 
नानक कबीर बुद्ध सी है शान हमारी
शामिल है नाम अपना ऐसे अनूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
-----------------------------------------
अविनाश बागड़े....मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 964

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on January 21, 2014 at 11:38am

वर्तमान राजनीती के बिगड़ते स्वरुप के प्रति जायज चिंता को शब्द देती है रचना !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 21, 2014 at 10:32am

//देश है तो राज और ये नीति  सब सही
कुर्सियों से प्रेम दल से प्रीति सब सही
बिन देश कौन रह सका है रंगो-रूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में//        

सुन्दर गीत रचा है आ०  अविनाश बागडे जी, बहुत बहुत बधाई।

Comment by कल्पना रामानी on January 20, 2014 at 6:44pm

सार्थक संदेश देते  हुए गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अविनाश जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2014 at 2:17pm

आदरणीय अविनाश भाई जी बेहद सुन्दर सटीक देश को समर्पित संदेशप्रद कविता हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 18, 2014 at 10:18pm

आदरणीय अविनाश भाई,

इस खूबसूरत गीत पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥

हम छांव में खड़े  वो चले  थे धूप में // // हम छांव में खड़े थे,  चले  थे वो  धूप में  ( प्रवाह बाधित न होगी ) ... सादर 

Comment by Maheshwari Kaneri on January 18, 2014 at 8:57pm

  सुन्दर  भाव लिए सार्थक रचना..बधाई अविनाश जी...

Comment by नादिर ख़ान on January 17, 2014 at 11:40pm
अमन परस्ती की है  पहचान हमारी 
नानक कबीर बुद्ध सी है शान हमारी
शामिल है नाम अपना ऐसे अनूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
सुंदर अभिव्यक्ति और उम्दा गीत के लिए आदरणीय अविनाश जी बधाई ..
Comment by AVINASH S BAGDE on January 17, 2014 at 10:21pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सादर धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 17, 2014 at 6:47pm

आदरणीय अविनाश भाई , राष्ट्र भक्ति के भाव से  ओत प्रोत गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 17, 2014 at 6:36pm

मेरे निवेदन को मान देने के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service