For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था

२१२२      २१२२      २१२२     २१२

बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था

धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था

 

इक नदी थी नाव भी थी और था मौसम हसीं

साथ तुम थे बाग़ गुल थे इश्क मस्ताना भी था

 

यार की गलियों  गया मैं फिर से लेकर आरज़ू

कुछ पुराने ख्वाब थे हर सिम्त वीराना भी था

 

कैसे - कैसे लोग मिलते हैं यहाँ देखो सही

बात में चीनी घुली थी दिल मगर काला भी था

 

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ये जहाँ  गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था

अमित दुबे

मौलिक व अप्रकाशित

(संशोधित)

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 7, 2014 at 7:09am

भाई अमित जी अच्छी ग़ज़ल है .हार्दिक बधाई .

बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था
धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था

लाजवाब शेर हैं .

Comment by Saarthi Baidyanath on January 6, 2014 at 10:42pm

इक नदी थी नाव भी थी और था मौसम हसीं

साथ तुम थे बाग़ गुल थे इश्क मस्ताना भी था....जिंदाबाद साहब 

 

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था...लाजवाब शेर .....बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है ! दाद हाजिर है :)

 

Comment by ajay sharma on January 6, 2014 at 10:22pm

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था..................

vishesh taur se bahut hi achha laga 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 6, 2014 at 7:26pm

//बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था
धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था// बहुत खूब भाई अमित जी
बेहतरीन ग़ज़ल है दाद कुबुल करें

Comment by sanju shabdita on January 6, 2014 at 6:15pm

बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था

धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था       मनमोहक मतला

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था        वाह वाह

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आ० अमित जी

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:08pm

आदरणीया कुन्ती जी आपका हार्दिक आभार

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:07pm

आदरणीय भंडारी जी आपका हार्दिक आभार

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:06pm

आदरणीय आशुतोष जी आपका बहुत आभार

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:05pm

आदरणीय राज बुन्देली जी रचना अनुमोदन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:04pm

आदरणीय अभिनव जी आपका हार्दिक आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Rachna Bhatia commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"आदरणीय नाथ सोनांचली जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।"
6 hours ago
Rachna Bhatia commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर भैया नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
AMAN SINHA posted a blog post

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं

जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,वो दौर ज़माना क्या जाने?हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के,कोई अपना अफसाना…See More
16 hours ago
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post मैं रोना चाहता हूँ
"आदरणीय नाथ सोनांचली साहब,  आपकी सराहना के लिये धन्यवाद । "
17 hours ago
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

1222×4एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर…See More
18 hours ago
मनोज अहसास commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नाथ जी सादर"
yesterday
Dr. Geeta Chaudhary commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"बहुत आभार सर!"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।  सबूतों बात ये कह दी अभी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"आ. गीता जी, सादर अभिवादन। सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"आ. रचना बहन सादर अभिवादन। सुंदर समसामयिक और शिक्षाप्रद लेख हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service