For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -सिर हमारे इल्ज़ाम क्यों

2 1 2 2          2 2 1 2

.

दफ़्तरों में आराम क्यों

फाइलों में है काम क्यों

 

सुरमयी सी इक शाम है

फिर उदासी के नाम क्यों

 

कर गया वो करतूत पर

सिर हमारे  इल्ज़ाम क्यों

 

नाम चाहिए था उसको भी

हो गये हम गुमनाम क्यों

 

इश्क़ फ़रमाया उसने भी

सिर्फ हम ही बदनाम क्यों

 

काँटों की इस बस्ती में भी

वो बना है गुलफाम क्यों

.

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 16, 2014 at 10:30pm

सुरमयी सी इक शाम है फिर उदासी के नाम क्यों नाम चाहिए था उसको भी हो गये हम गुमनाम क्यों

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 1:40pm

भाई अमित जी प्रयास अच्छा है किन्तु कथ्य शिल्प और प्रवाह में कमी है आपने तनिक जल्दबाजी कर दी है.

नाम चाहिए था उसको भी .. इस शेर की तक्तीअ पुनः कर लें.

हो गये हम गुमनाम क्यों

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 1:04pm

आदरणीय अमित जी ..छोटी बहर में बेहतरीन ग़ज़ल ..सादर बधाई 

Comment by अमित वागर्थ on December 9, 2013 at 9:58am

आदरणीय नीरज जी रचना अनुमोदन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार

Comment by अमित वागर्थ on December 9, 2013 at 9:57am

आदरणीय भंडारी जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया

Comment by अमित वागर्थ on December 9, 2013 at 9:56am

आदरणीया कूंती जी रचना अनुमोदन हेतु आपका आभारी हूँ

Comment by अमित वागर्थ on December 9, 2013 at 9:54am

अदरणीया संजु जी आपका तहे-दिल से शुक्रिया

Comment by Neeraj Neer on December 9, 2013 at 9:24am

कर गया वो करतूत पर

सिर हमारे  इल्ज़ाम क्यों

 यही आज भारतीय लोकतंत्र की सच्चाई है .. 

बहुत सुन्दर .. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 8, 2013 at 4:07pm

आदरणीय अमित भाई , एक अच्छी गज़ल के लिये बधाई !!!!

Comment by coontee mukerji on December 8, 2013 at 4:00pm

नाम चाहिए था उसको भी

हो गये हम गुमनाम क्यों

 

इश्क़ फ़रमाया उसने भी

सिर्फ हम ही बदनाम क्यों..............बहुत खूब.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service