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महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात करे

ला ला ल ला    ल ला ला     ल ला ला   ला ला ल ला 

महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर

हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर 

चिलमन कहाँ से आया तेरे मेरे बीच में 

चिलमन हटा ये नजरें मिलाने की बात कर

चिलमन हटा तो मुखड़े को घूंघट में यूं छुपा 

गुल की कली न ऐसे जलाने की बात कर 

जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी 

इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर 

हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू 

जन्मों की प्यास  मेरी बुझाने की  बात कर

दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता 

मलिका ए हुस्न यूं ना सताने की बात कर

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by vandana on January 9, 2014 at 5:42am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय आशुतोष जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 1:39am

बढिया . बढिया.. वाह !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2014 at 4:09pm

सुन्दर रुमानी गज़ल कही है डॉ आशुतोष मिश्रा जी, बधाई स्वीकारें।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:09am

आदरणीय ब्रिजेश जी ..हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया ..सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:08am

आदरणीया अनुपमा जी ..आप सबके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से ही संभव होता है ..बस यूं ही मार्गदर्शन करती रहे ..सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:06am

आदरणीय निकोर सर ..सादर प्रणाम ..बस आपका आशीर्वाद मिलता रहे यही कामना है ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:05am

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..बस यूं ही प्रोत्साहित करते रहे और गलतियों पर मार्गदर्शन करते रहे ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:04am

आदरणीय बैद्नाथ जी ..मेरी रचना आपको पसंद आयी शुक्रगुजार हूँ आपका ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:03am

आदरणीय शिज्जू  जी ..आपके उत्साह वर्धक शब्द ही मेरी रचना धर्मिता की निरंतरता है बस यूं ही स्नेह बनाए रखें .सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 11:02am

आदरणीय आमोद जी ..आपके उत्साह वर्धक शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

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