For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत और रेल का जनरल डब्बा

भारत और रेल का जनरल डब्बा

 

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है,

जनरल के डब्बे में जीकर बचपन रोज पला करता है।

 

हो चाहे व्यवसाय दुग्ध का,

रोज रोज का ऑफिस जाना,

गल्ला राशन बोरा लेकर,

बेटे तक साइकिल पहुँचाना,

हर एक जरूरत जीवन की इस डब्बे में लेकर विश्राम,

पल पल बढ़ता देश मेरा दुनिया से रोज लड़ा करता है,

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है।

 

भारत की खुद्दार जवानी,

को खिड़की से लटके देखा,

मंजिल तक जाने की जिद को,

डब्बों की छत पर चढ़ते देखा,

भर्ती में शामिल होना हो करनी हो कोई हड़ताल,

इसी देश का सस्ता जीवन कर में जान लिए फिरता है,

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है।

 

मूँगफली हो पुड़िआ गुटखा,

चाय समोसा बेंच रहा है,

खेल कूद की आज़ादी को,

क्षुधा अग्नि में झोंक रहा है,

जिम्मेदारी का बोझ लिए इसी जगह भारत का बचपन,

कुछ बनने की उमर में हर दिन घर का पेट भरा करता है,

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है।

 

चेहरे पर हैं जितनी झुर्री,

उतना माटी के करीब है,

जितने बल पड़ते माथे पर,

उतना खोटा ही नसीब है,

जितनी उम्र नहीं रेलों की उतने कर्मरथी धरती के,

अनगिन सालों का अनुभव डब्बे में पड़ा सड़ा करता है

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 14, 2014 at 5:54pm

यथास्थिति को पूरी संवेदनशीलता से प्रस्तुत करता एक बहुत सुन्दर सार्थक गीत..

मुख्य पंक्तियाँ ही मन को झकझोर कर जगाने वाला मंज़र प्रस्तुत करती हैं.

प्रवाह बहुत सुन्दर है, पर कहीं कहीं गेयता में अटकाव अवश्य महसूस हुआ, एक दो जगह कथ्य भी कुछ और स्पष्टीकरण की मांग करता है..

इस गीत के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं  

Comment by विजय मिश्र on January 6, 2014 at 6:36pm
अत्यंत मार्मिक और सच को कुरेदती एक संतप्त रचना | साधुवाद मान्यवर नीरजजी| "चेहरे पर हैं जितनी झुर्री,
उतना माटी के करीब है,
जितने बल पड़ते माथे पर,
उतना खोटा ही नसीब है,
जितनी उम्र नहीं रेलों की उतने कर्मरथी धरती के,
अनगिन सालों का अनुभव डब्बे में पड़ा सड़ा करता है | -कितने उद्वेगी कथ्य है और कितनी सरलता से आपने व्यक्त कर दियी है ! विस्मय होता है !
Comment by annapurna bajpai on January 5, 2014 at 8:15pm

आ0 नीरज जी बहुत ही सुंदर , बधाई आपको । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 5, 2014 at 4:54pm

प्रिय नीरज भाई ओ बी ओ पर आपका स्वागत है बेहद शानदार रचना है भाई पढ़कर आनंद आ गया बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 5, 2014 at 1:03pm

आ. नीरज द्विवेदीजी सही तस्वीर प्रस्तुत की है भारतीय रेल और आम रेल यात्रियों की समस्यायों की । हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश नीरज on January 5, 2014 at 11:45am

टिप्पणी यदि रचनाकार के द्वारा अप्रूव ही होनी है तो टिप्पणी का महत्व ही क्या रहा?

Comment by बृजेश नीरज on January 5, 2014 at 11:43am

अच्छी रचना है! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by coontee mukerji on January 4, 2014 at 5:41pm

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है,

जनरल के डब्बे में जीकर बचपन रोज पला करता है।

 

हो चाहे व्यवसाय दुग्ध का,

रोज रोज का ऑफिस जाना,

गल्ला राशन बोरा लेकर,

बेटे तक साइकिल पहुँचाना,

हर एक जरूरत जीवन की इस डब्बे में लेकर विश्राम,

पल पल बढ़ता देश मेरा दुनिया से रोज लड़ा करता है,

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है।......रेल के सफ़र का मज़ा ही कुछ और है.......हाँ जिसमें एक पूरा देश एक साथ चलता है प्रथम श्रेणी से लेकर अनारक्षित श्रेणी तक....भाई नीरज जी कवि वहीं जो समाज का प्रतिबिम्ब ऐसा प्रस्तुत करे कि मन खुश भी हो जाय समय का दर्शन भी हो और उस वस्तुस्थिति पर विचार करने पर पाठक मजबूर भी हो जाय....एक सार्थक रचना के लिये बहुत बहुत बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service