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बहुत सुंदर भाव हैं। बधाई, आदरणीय सत्यनारायण सिहं जी।
तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता है मेरा मन
यह जानते हुए कि
प्रेम तो शब्दो से परे है......................बहुत खूबसूरत
हार्दिक बधाई इस सुन्दर भाव प्रस्तुति पर
प्रिये !
तुम्हारा मौन
बहुत कुछ कह जाता है
और बहुत बतियाती है
तुम्हारी आँखे
तुम्हारी मधुर स्मृतियाँ
एकांत में भी
तुम्हारे अस्तित्व का
निरंतर बोध कराती हैं
तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता है मेरा मन
यह जानते हुए कि
प्रेम तो शब्दो से परे है.....अति सुंदर.
सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें..... |
अपमान गरल को
कंठ से लगाकर तुम मीरा तो बन गयी
पर मैं चाहकर भी अब तक
नहीं बन पाया हूँ कृष्ण....wah bahut sundr bhaav.....is madhur parastuti ke liye haardik badhaaee
जिसे तुम्हारे आलावा
और कोई नहीं समझ सकता
इस संसार में............बहुत सुंदर आदरणीय बधाई आपको
आदरणीय सत्य नारायण भाई , वाह ! बहुत सुन्दर बात कही है ,
तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता है मेरा मन
यह जानते हुए कि
प्रेम तो शब्दो से परे है -- बहुत खूब भाई जी ॥ बधाइयाँ ॥
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