For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवाली के दोहरे

होती है हर एक को, रिद्धि सिद्धि की चाह।

दीप पर्व दिखला रहा, अंतर मन को राह।१।

 

उनका जीवन पथ चुनें, करें आत्म उत्थान।

जिनके जीवन में मिला, यश कीरत सन्मान।२।

 

दीपक बाती ज्योति की, सुख समृद्धि का ठांव।

दीप तीर्थ है ज्योति का, आशीषों का गांव ।३।

 

हमें सदा तत्पर रखे, सत्कर्मो के संग।

दीवाली का दीप हर, मन में भरे उमंग।४।

 

मिला जिसे हर पर्व पे, रानी जैसा मान।

पटरानी सी राजती, दीवाली दिल जान।५।

 

             -सत्यनारायण सिंह

              मौलिक व अप्रकाशित

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on November 16, 2013 at 5:36pm

परम आदरणीय सौरभ जी उत्साहवर्धन हेतु आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ.

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 10:50pm

बहुत खूब !

बधाई भाईजी

Comment by Satyanarayan Singh on November 10, 2013 at 12:26pm
उत्साहवर्धन हेतु आपका आभारी हूँ आदरणीय सुशिल जोशी जी .....सादर धन्यवाद |
Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 12:06pm

वाह वाह..... अति सुंदर आ0 सत्यनाराण जी..... इस खूबसूरत प्रकाशमयी दोहावली के लिए बधाई हो....

Comment by Satyanarayan Singh on November 8, 2013 at 10:36am

दोहावाली के भावों  को पसंद करने तथा कथ्य के सन्दर्भ में आपके सुझावों हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया  डॉ प्राची जी …सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2013 at 9:17am

सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं दोहावाली में आ० सत्यनारायण जी,

लेकिन, कुछ दोहों में कथ्य को थोड़ा सा और कसे जाने की ज़रुरत महसूस हुई..

सादर शुभकामनाएं 

 

Comment by Satyanarayan Singh on November 7, 2013 at 6:05pm

आ. अरुण जी, गोपाल नारायण जी, बृजेश जी एवं सचिन देव जी रचना को सराहने हेतु आपका आभारी हूँ  आप सबको भी दीप पर्व एवं नूतन वर्ष की ढेरों शुभ कामनाएं. धन्यवाद.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 4:59pm

DEEP PARV DIKHLA RAHA ANTARMAN KO RAH .

VAH  VAH  JI  VAH  JI,             VAH  VAH  JI  VAH.

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 6:47pm

दीपावली और उस पर अच्छी रचना की हार्दिक शुभकामनाएं आपको ! 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 5:17pm

वाह! बहुत ही सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई और दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service