For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मौन उपवास रहा है ..........

अब तक  तेरे पास रहा है
नतीज़तन वो  ख़ास रहा है

हिचकी , हिचकी केवल हिचकी
वोआज मौन उपवास रहा है

छुयन का उसकी असर ये देखो
पतझड़ में मधुमास रहा है

मेरा ख्वाब है उसके दिल में
मुझको  ये  अहसास रहा है

कभी है गहना हया ये उसकी
कभी "अजय" लिबास रहा है

मौलिक व अप्रकाशित
अजय कुमार शर्मा

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on December 27, 2013 at 11:19pm

pathak ji .....typing mistake ho gaya  ...apne sahi pakda ..hai ....chhyan ...nahi  yah chhuvan hi hoga ...thanks 

Comment by ajay sharma on December 27, 2013 at 11:17pm

pandey sir .......yadi isi rachna ko ...matra badhh kar de badi kripa kar  de .....matra gadna kaise kari jaye ....agli  baar mai khud koshish karoonga ......pl......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 10:36pm

फेलुन फेलुन .. फ़ा पर मिसरों को बाँधिये अजयभाईजी.  बहुत ही अच्छी कोशिश हुई है.

बहुत-बहुत बधाई ..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2013 at 1:47pm

अच्छी  रचना के लिए शुभ - कामनाये i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 27, 2013 at 9:38am

छुयन का उसकी असर ये देखो
पतझड़ में मधुमास रहा है.........बहुत कोमल अहसास

खुबसूरत रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अजय जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:07am

आदरणीय अजय भाई , बहुत खूबसूरत रचना हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by coontee mukerji on December 27, 2013 at 3:01am

छुयन का उसकी असर ये देखो
पतझड़ में मधुमास रहा है

मेरा ख्वाब है उसके दिल में
मुझको  ये  अहसास रहा है.....बहुत सुंदर.

Comment by ram shiromani pathak on December 27, 2013 at 12:42am

सुन्दर प्रस्तुति भाई अजय जी। .. बधाई /////छुयन??????

Comment by कल्पना रामानी on December 26, 2013 at 8:09pm

कभी है गहना हया ये उसकी
कभी "अजय" लिबास रहा है...सुंदर भावपूर्ण गजल, हार्दिक बधाई आपको

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2013 at 7:45pm

हिचकी , हिचकी केवल हिचकी
वोआज मौन उपवास रहा है ...... बहुत खूब आदरणीय अजय जी .. बधाई आपको सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
18 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service