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मौत के साथ आशिकी होगी (अरुन 'अनन्त')

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22

मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,

उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,

आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,

नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,

आखिरी वक्त है अमावस का,
कल से हर रात चाँदनी होगी.

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 9:22pm

आखिरी वक्त है अमावस का,
कल से हर रात चाँदनी होगी.

बहुत खूब कहा 

सस्नेह बधाई 

Comment by M Vijish kumar on January 4, 2014 at 1:16pm

बहुत खूब श्रीमान अरुण जी 

Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 8:11pm

वाह! बहुत सुन्दर!

//आखिरी वक्त है अमावस का,
कल से हर रात चाँदनी होगी//......बहुत खूब!

आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Saarthi Baidyanath on December 27, 2013 at 3:20pm

आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी

आखिरी वक्त है अमावस का,
कल से हर रात चाँदनी होगी.....आदरणीय अरुन जी बहुत ही प्यारी ग़ज़ल हुई है ....ये दो शेर खास तौर से पसंद आये ..बधाई स्वीकारें :)

Comment by Sarita Bhatia on December 27, 2013 at 2:45pm

खुबसूरत गजल 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 2:41pm

का हो !?

अच्छा लगा पढ़ते हुए.  यों, ग़ज़ल को थोड़ा और मांजा होता. शिज्जू भाई ने बढिया इशारा किया है.

शुभ-शुभ

Comment by ram shiromani pathak on December 26, 2013 at 10:19pm

बहुत प्यारी ग़ज़ल ,आध्यात्मिक बातें ,क्या? हुआ हाहाहा। ...  आदरणीय  भाई अरुण  जी  हार्दिक बधाई आपको 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 26, 2013 at 1:59pm

हार्दिक बधाई अरुण अनंतजी , इस सुंदर गज़ल की। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2013 at 11:22am

अनंत जी

सुन्दर भावो से सजी इस गजल हेतु बधाई स्वीकार करे  i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 26, 2013 at 10:42am

हार्दिक आभार आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

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