For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन भर के सफर का

थका हुआ सूरज, मानो..

ज़मीं की सेज़ पर,

लहरों के झूले में,

चाँदनी की चादर ओढ़े

सबकुछ भूल के,

सोने जा रहा हो,

लहराते हुये लहरो में,

मानो,

कह रहा है

मेरे दोस्तो

विदा, फिर मिलेंगे सुबह...

मैं चला

 

होती है रात विश्राम को,

थकान मिटाने को,

चलें सफर में

रात के साथ...

पिछला ग़म भुलाने को

चलो

सुबह एक नई शुरूआत करेंगे

 

 -मौलिक व अप्रकाशित

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2013 at 9:08pm

आदरणीय सौरभ सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया, एक छोटी सी कोशिश की है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 25, 2013 at 8:28pm

आपकी कोई पहली अतुकान्त कविता देख रहा हूँ, भाई शिज्जूजी.

बहुत-बहुत बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 20, 2013 at 11:22pm

मेरी रचना को मान देने के लिये आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद है आप सभी का स्नेह यूँ ही बना रहेगा
सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 2:05pm

बहुत सुन्दर...

पिछले दिन के ग़मों के बोझ को उतार, विश्रांति पा .....हर सुबह एक नयी शुरुवात ही हो... 

हार्दिक बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on December 20, 2013 at 9:47am

सुंदर प्रस्तुति शिज्जू भाई!आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2013 at 7:42am

आदरनीय शिज्जू भाई

सुंदर भावों  से संजोयी, जीवन की नई सुबह में आशा की किरण, हृदय से बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 7:28pm

आदरनीय शिज्जू भाई , आशा की किरण दिखाती आपकी सुन्दर रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by annapurna bajpai on December 19, 2013 at 2:03pm

सुंदर कविता , बधाई आपको आ० शिजू शकूर जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 19, 2013 at 12:09pm

होती है रात विश्राम को,

थकान मिटाने को,

चलें सफर में

रात के साथ...

पिछला ग़म भुलाने को

चलो

सुबह एक नई शुरूआत करेंगे

 और हर उस नई सुबह के साथ जीवन में एक नया दिन जुड़ जाता है जीवन कर्म, कुदरत कर्म निरंतर चलता रहता है ,हर दिन का सूर्य आशावादी ऊर्जा भरता जाता है ......आपकी रचना बहुत अच्छी लगी शिज्जू भाई बधाई स्वीकार करें   

Comment by AVINASH S BAGDE on December 19, 2013 at 10:55am

सुबह एक नई शुरूआत करेंगे...

सुंदर प्रस्तुति शिज्जू भाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service