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सपना टूट गया (व्यंग्य)

एक बार हमें भी लगा कि हमें शायर बनना चाहिये हमने शुरुआत की, हमने शुअरा को पान खाते देखा तो हमें लगा यह भी शायर बनने के लिये ज़रूरी है सो हमने शुरुआत यहीं से की l

आनन फानन कुछ अशआर लिख मारे और छपवाने के लिये मशहूर अखबार के दफ़्तर गये जहाँ हमें हमारी शख़्सियत को देखते हुये संपादक से मिलने का सौभाग्य मिला l

संपादक महोदय ने ऊपर से नीचे तक हमें देखा और हमारे हाथ से लेकर हमारी रचनाये पढ़ने के बाद संपादक महोदय ने कुछ कहने की भी जहमत नही उठाई, वो अपने मनहूस लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रहे थे उन्होने कुछ किया और लैपटॉप का स्क्रीन हमारी तरफ कर दिया और इशारे से सुनने को कहा l

पुलिस बने अभिनेता अवतार गिल कह रहे थे- “आप शराफत से बाहर जायेंगे या धक्के देकर बाहर निकालूँ”

और हमारे शायर बनने का सपना टूट गया l

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Tapan Dubey on December 4, 2013 at 6:35pm
हां हा हा बहुत खूब :))

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:43pm

आदरणीय शिज्जू भाई , वाह वा , मज़ेदार हास्य रचना पढावाने के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!!!  और एक विधा मे आपकी रचना देख कर खुशी हुई  , इस रचना के लिये आपको बहुत बधाई !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 5:25pm

हाहाहा सपना अक्सर टूट ही जाता है मजेदार रचना पढवाई है आपने, और जो शुअरा ने पान खाया है हाहाहा क्या खूब खाया है हँसे ही जा रहा हूँ. बहुत बहुत बधाई आपको


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 4, 2013 at 5:01pm

यानि कि बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले ??  
बाई द वेज़ - वह एडिटर महोदय हमारे जैसे फराख दिल नहीं रहे होंगे शिज्जू भाई. सही कहा न ?

अब तो जय ओबीओ कहना पड़ेगा। :)

Comment by वेदिका on December 4, 2013 at 4:46pm

फिर ....फिर, क्या हुआ? आप शराफत से बाहर आये या ......? :))))

सादर!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 4, 2013 at 4:27pm

 हाहाहा हाहाहा 

शायर बनने की शुरुवात पान खाने से :)))) बढ़िया शुरुवात ..तो अंत तो ऐसा ही होना था सपने का 

बहुत शानदार हास्य आ० शिज्जू जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 4, 2013 at 3:47pm

रात के सपने आँख खुलते ही टूट जाते हैं ,और जागती आँखों के सपने हर दिन टूटते बिखरते रहते हैं । हर आम आदमी का यही हाल है।

अगली बार सम्पादक की तारीफ में कुछ पंक्तियाँ लिखकर ले जाना , आपकी फोटो सहित छापेगा ऊपर से चाय पिलायेगा ।... सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 4, 2013 at 3:44pm

हाहाहाहाहाहा, क्या बात है, मुझे यह रचना व्यंग नहीं हास्य लगी, बधाई |

कृपया ध्यान दे...

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