For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1. .....कुछ दीप जलते रह गए …


शायद हमारे प्यार के ....कुछ शब्द अधूरे रह गए

कुछ सकुचाये इकरार से ...कुछ नज़र से बह गए

मासूम लौ निर्बल हुई कम्बखत पवन के जोर से

कहने कहानी प्यार की ..कुछ दीप जलते रह गए

...............................................................................

2. ..........जिस्म तेरी यादों का ....

कफ़स बन के रह गया है .....ये जिस्म तेरी यादों का

सह रहा है अज़ाब कितना .अब ये दिल टूटे वादों का

अब तलब होती नहीं .पलकों को किसी भी ख्वाब की

बन गया है इक फसाना .अब प्यार हिज्र की रातों का


कफस =पिंजरा , अज़ाब=दुःख,तकलीफ , हिज्र =वियोग

.............................................. ...............................

3......बिन रूह के ……

पारसा है कौन यहाँ पर ...और गुनहगार कौन है

कौन है रहबर यहाँ पर और .......रहज़न कौन है

ख़ाक है संगीन हकीकत इंसान मुसाफिर है यहाँ

देखिये बिन रूह के .....जिस्म इंसान का मौन है

पारसा=पवित्र , रहबर=राह दिखाने वाला , रहज़न=लुटेरा या लूटने वाला


''मौलिक एवं अप्रकाशित ''

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2013 at 1:38pm

aa.Gitika 'Vedika' jee muktako par aapkee snehil prtikriya ka haardik aabhaar

Comment by वेदिका on November 30, 2013 at 7:52am

गेयता को छोडकर शेष रचना बहुत अच्छी है! हार्दिक बधाई!!

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2013 at 9:11pm

Annapuma Bajpai jee rachna par aapke sneh ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2013 at 9:11pm

Sandeep Kumar Patel jee rachna pat aapkee aatmeey prashansa ka hardik aabhaar...Brijesh jee ke uttar men aapko bhee apna uttar mil gya hota....aapka haaardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2013 at 9:09pm

aa.Brijesh  Neeraj jee rachna par aapkee snehil pratikriya ka haardik aabhaar....'......' ka pryog maatr laaeen aur muktak aik seema men dikhain isliye kiya gya hai n ki kaoee fashion ke roop men...aapka haardik aabhaar

Comment by annapurna bajpai on November 28, 2013 at 8:29pm

सुंदर भाव आ0 सुशील जी । 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 28, 2013 at 7:52pm

वाह वाह वाह आदरणीय अच्छे भाव पिरोये हैं आपने बधाई स्वीकार करें

आदरणीय बृजेश जी का प्रश्न ............इसका प्रयोग क्यूँ .............मुझे अच्छा लगा

Comment by बृजेश नीरज on November 28, 2013 at 7:26pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

रचना में जो '........' प्रयोग किया गया है, उसका क्या मतलब! कोई नया फैशन है!

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2013 at 12:03pm

Sh.Ram Shiromani Pathak jee muktak par aapke sneh ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2013 at 12:02pm

aa.Akhilesh krishan Shrivastav jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service