For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे : अरुन शर्मा 'अनन्त'

प्रेम रूप हैं राधिका, प्रेम हैं राधेश्याम ।
प्रेम स्वयं माते सिया, प्रेम सियापतिराम ।।

सत्यवती सा प्रेम जो, हो जीवन में साथ ।
कष्ट उचित दूरी रखे, मृत्यु छोड़ दे हाथ ।।

अद्भुत भाषा व्याकरण, विभिन्न रूप प्रकार ।
प्रेम धरा पर कीमती, ईश्वर का उपहार ।।

निश्छल यदि हो भावना, मर्यादित हो प्यार ।
नृत्य झूम कर मन करे, तन करता श्रृंगार ।।

लगे देखिये प्रेम से, स्वर्णिम यह संसार ।
सदा प्रेम से ही बने, सुन्दर घर परिवार ।।

प्रेम समस्या से करें, होगा दुख का अंत ।
प्रेम अमिट संसार में, कहें महात्मा संत ।।

पशु पक्षी जन जीव सब, सुन मुरली की तान ।
मन्त्र मुग्ध हैं प्रेम में, नहीं रहा कुछ ध्यान ।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 638

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 7:49pm

इस अद्भुत कहन प्रयास के लिए हृदय से बधाई, अरुन भाई ! मन बार-बार मुग्ध हुआ जाता है !
किन्तु, तनिक.. बस तनिक सा धैर्य इस छंद प्रस्तुति को आपकी समस्त रचनाओं के बीच अति विशिष्ट का दर्ज़ा दिला देता.

आदरणीया प्राचीजी ने जो कुछ इंगित किया है उसे अवश्य मान दें और तदनुरूप काम करें

प्रेम पगा हर बंद है, प्रेमपरक हर बात
तथ्य सिंधु में डूबिये, शिल्प न खाए मात !

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 26, 2013 at 6:05pm

प्रेम की सुन्दरता को सुकोमलता और सात्विकता से परिभाषित करते बहुत सुन्दर दोहे प्रिय संदीप जी 

बहुत बहुत बधाई 

प्रेम रूप हैं राधिका, प्रेम हैं राधेश्याम । .................मात्रा पुनः देख लें 

अद्भुत भाषा व्याकरण, विभिन्न रूप प्रकार ।..........गेयता बाधित हो रही है 

लगे देखिये प्रेम से, स्वर्णिम यह संसार ।.........कथ्य स्पष्टता के लिए थोड़ा सा और प्रयास मांगता है 

प्रेम समस्या से करें, होगा दुख का अंत । ......इसका अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हुआ ...समस्याओं से प्रेम करें तब तो समस्याएँ पीछा नहीं छोड़ेंगी ...:)))

अपनी समझ भर यही कुछ कहना है..शायद सहमत हों 

सस्नेह शुभकामनाएं 

Comment by बसंत नेमा on November 23, 2013 at 10:34am

 आदरणीय भाई अरुण शर्मा  जी  वाह अनुपम दोहावली।  हार्दिक बधाई  आपको। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 23, 2013 at 7:50am

बेहतरीन दोहावली भाई अरुण जी बधाई स्वीकार करें

Comment by ram shiromani pathak on November 22, 2013 at 11:19pm

वाह आदरणीय भाई अरुण शर्मा  जी  वाह अनुपम दोहावली। …हर्दिक बधाई आपको। । सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 22, 2013 at 9:51pm


निश्छल यदि हो भावना, मर्यादित हो प्यार ।
नृत्य झूम कर मन करे, तन करता श्रृंगार ।।.............सच! बहुत अच्छा सन्देश, प्रेम निश्छल भावनाओं से ही
                                                                                    होता है
प्रेम को परिभाषित कर, सटीक संदेशप्रद दोहावली रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण अनंत जी


Comment by Meena Pathak on November 22, 2013 at 6:33pm

वाह!! अरुन जी प्रेम से पगी दोहावली के लिए बधाई आप को 

Comment by वेदिका on November 22, 2013 at 6:21pm

प्रेम की बहुत खूबसूरत व्याख्या की आपने आ० अरुण जी!

लगे देखिये प्रेम से, स्वर्णिम यह संसार ।
सदा प्रेम से ही बने, सुन्दर घर परिवार ।। यह परिभाषा तो गदगद कर गयी हृदय को!

प्रेम रूप हैं राधिका, प्रेम हैं राधेश्याम ।
प्रेम स्वयं माते सिया, प्रेम सियापतिराम ।। अद्भुत!!

बहुत बहुत बधाई!

Comment by Sarita Bhatia on November 22, 2013 at 5:24pm

वाह वाह अरुण प्रेम ही प्रेम 

प्रेमपूर्ण दोहावली के लिए बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 22, 2013 at 3:23pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गोपाल सर दोहे आपको पसंद आये सुनकर प्रसन्नता हुई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
12 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service