For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

दिव्य अलोकिक सी

उतर रही

क्षितज से

नीचे की ओर

त्रण से छीन लेती है

ओस का प्याला

और वह

अवाक

मूक मुँह बाए

देखता है

उस देवी को जो

मद-मस्त हो जाती है

कलि कलि मुस्काती है  

पुष्प खिल उठते हैं

बागों के

पोखरों के

ह्रदय के   

उसके दर्शन पा

 

भर लेती है वो

अपनी बाहों में

अलसाए से

विहंगों को

प्रकृति के कण कण को  

और देती है उर्जा

स्नेह की गर्मीं से

करती है पल्लवित

कुछ दिवास्वप्न

जिनमें से कुछ होंगे

पूर्ण

कुछ अपूर्ण भी  

 

नदियों की कल कल

पंछियों का कलरव

और चहल पहल

ही उसकी पहचान है

 

उसके अभिनन्दन में

बजती हैं मंदिरों की घंटियाँ

होता है मस्जिदों में आलाप

और गुरुद्वारों में सजदे

कभी वो माँ बने

पुचकारती है

कभी प्रेयसी सी

मादक हो जाती है

कवियों को

उकसाती सी

करो मेरा सौन्दर्य वर्णन

करो मेरी ममता का बखान

  

कलम स्तब्ध सी

उस आंदोलित मौन को

देती है शब्द

जिसमें वह कह नहीं

पाती उस चिरपरिचित मौन को

जो उल्लुओं को मौन करता है

और कोयलों को स्वर देता है

 

थक के हार के

बस

नतमस्तक हो

कहती है  

हे!  “भोर”

तुम अनंत हो

तुम हो तो मैं हूँ

वरना काल के गाल में

समाया

समय

संदीप पटेल "दीप"

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alka Gupta on November 22, 2013 at 11:05pm

 वाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह बहुत सुन्दर प्रस्तुती .........हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 22, 2013 at 1:37pm

आदरणीय शिज्जू जी , आदरणीय राम भाई, आदरणीय जीतेन्द्र जी, आदरणीय गणेश बागी सर जी, आदरणीय विजय सर जी, आदरणीय गोपाल सर जी, आदरणीय अरुण भाई साहब, आदरणीय गिरिराज सर जी, आदरणीया वंदना जी , आदरणीय सौरभ सर जी

सराहना और अनुमोदन हेतु आपका ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

सादर

Comment by vandana on November 22, 2013 at 7:56am

जो उल्लुओं को मौन करता है

और कोयलों को स्वर देता है

वाह आदरणीय संदीप जी भोर का बहुत सुन्दर वर्णन !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 22, 2013 at 2:15am

रचना अतुकान्त है.

शुभेच्छाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 21, 2013 at 11:24pm

  हे!  “भोर”

तुम अनंत हो

तुम हो तो मैं हूँ

वरना काल के गाल में

समाया

समय

 सच! भोर से ही है तो जीवन की सकारात्मकता, बहुत बढ़िया रचना बधाई स्वीकारें आदरणीय संदीप जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 5:06pm

आदरणीय सन्दीप भाई , अनुपम रचना के लिये आपको दिली बधाई !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 3:18pm

आदरणीय संदीप भाई जी दिल खुश हो गया बहुत ही सुन्दर रचना रची है आपने बधाई स्वीकारें

Comment by vijay nikore on November 20, 2013 at 10:46pm

बहुत ही सुन्दर रचना है। आपको बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 20, 2013 at 9:44pm

कल्पना के चमकीले रंगों से सजी 

इस रचना से आगे और इन्तेजार

शुभ कामनाये  i


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 9:18pm

//

कलम स्तब्ध सी

उस आंदोलित मौन को

देती है शब्द

जिसमें वह कह नहीं

पाती उस चिरपरिचित मौन को

जो उल्लुओं को मौन करता है

और कोयलों को स्वर देता है//

क्या कहने, बहुत अच्छे, अच्छी रचना लगी बधाई संदीप जी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service