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सुनो आखेटक !!

आखेटक !!

क्या तुम्हें आभास है ?

कि तुम जिजीविषा मे

किसी का आखेट कर

जीवन यापन की मृगया मे

भटकते हुये मदहोश हो !

आखेटक !

क्या तुम्हें आभास है ?

आखेटक को संजीवनी नहीं मिलती

मन की तृष्णा की खातिर

अनन्य मार्गदर्शी का भी

विसस्मरण कर दिया है

सृजनमाला को विस्फारित नेत्रों से

देखते हुए मदमस्त हो !

आखेटक !!

क्या भूल गए हो ?

आखेट करने को आया तीर

एक दिन तुम्हें भी बेध जाएगा

तब !!...... समक्ष राम न होंगे

सागर से उबरने को कर्म न होंगे

सुनो आखेटक !!! .........................

 

प्रस्तुति: अन्नपूर्णा बाजपेई

अप्रकाशित एवं मौलिक

 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 22, 2013 at 2:07am

आपकी कोशिशों के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया अन्नपूर्णाजी. रचना की अंतिम पंक्तियाँ धारदार बन पड़ी हैं.

तुम! मृगमरीचिका की   

जिजीविषा मे

किसी का आखेट कर

जीवन यापन की मृगया मे

भटकते हुये मदहोश हो !

उपरोक्त पंक्तियाँ अलबत्ता शब्दों से धनी हैं लेकिन कई शब्द सायास प्रयुक्त हुए हैं अतः रचना के मूल अर्थों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं. देख लीजियेगा.

शुभेच्छाएँ.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 21, 2013 at 11:11pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी , सुंदर संदेशप्रद रचना पर बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 4:56pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी ,  !!!!! सुन्दर सदेश देती आपकी उम्दा रचना के लिये आपको दिली बधाई !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 2:58pm

बहुत ही सुन्दर सार्थक सुन्दर सन्देश देती हुई रचना हार्दिक बधाई आदरणीया.

Comment by ram shiromani pathak on November 20, 2013 at 8:48pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई  आपको। …… सादर 

Comment by annapurna bajpai on November 20, 2013 at 7:53pm

प्रिय गीतिका आपका शब्द सही है मेंने ही गलत लिख दिया है । आपका आभार मेरा मार्ग दर्शन करने के लिए । 

Comment by वेदिका on November 20, 2013 at 4:05pm

रचना का कथ्य शानदार हुआ है| 

//एक दिन तुम्हें भी बेन्ध जाएगा// बेन्ध या बेध? मार्गदर्शन की अपेक्षा है!! 

रचना पर बधाई स्वीकारिए आ0 अन्नपूर्णा दी!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 20, 2013 at 2:31pm

शानदार प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई स्वीकारें आदर्नीय अनुपमा जी 

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