For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शरीर पर बेदाग पोशाक, स्वच्छ जेकेट, सौम्य पगड़ी एवं चेहरे पर विवशता, झुंझलाहट, उदासी और आक्रोश के मिले जुले भाव लिए वे गाड़ी से उतरे... ससम्मान पुकारती अनेक आवाजों को अनसुना कर वे तेजी से समाधि स्थल की ओर बढ़ गए... फिर शायद कुछ सोच अचानक रुके, मुड़े और चेहरे पर स्थापित विभिन्न भावों की सत्ता के ऊपर मुस्कुराहट का आवरण डालने का लगभग सफल प्रयास करते हुये धीमे से बोले- “मैं जानता हूँ, जो आप पूछना चाहते हैं... देखिये, आप सबको, देश को यह समझना चाहिए... और समझना होगा कि ‘गांधी’ जी के पदचिह्नों पर, उनके दिखाये, बताए, सुझाए रास्तों पर चलना ही हमारी प्रथम प्राथमिकता एवं प्रतिबद्धता है...” कहकर वे मुड़े और तेजी से चलते हुये भीतर प्रवेश कर गए... शीघ्र ही वातावरण में ‘गांधीजी’ के प्रिय भजन की स्वरलहरियां तैरने लगीं.... “वैष्णव जन तो.... “ 

_________मौलिक/अप्रकाशित__________

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 8:22am

उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार स्वीकारें आदरणीया राजेश कुमारी जी...

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 8:21am

उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार स्वीकारें आदरणीय रविकर जी... 

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 8:18am

आदरणीय बागी भाई इसे ही शायद नब्ज़ पकड़ना कहते हैं... आपने जिस शब्द को इंगित किया कथा पोस्ट करने के ऐन पहले उस पर काफी देर तक अटका रहा... बार बार मन में यह बात आ रही थी कि 'विभाजन रेखा' तनिक बारीक हो... और पोस्ट इस रूप में आ गई... आपकी सराहना उत्साहवर्धन के साथ नवसृजन हेतु प्रेरित करती है... सादर आभार स्वीकारें....  

Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 10:51pm

सुंदर , सार्थक लघु कथा हेतु बधाई आपको आदरणीय संजय हबीब जी । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 8:47pm

भाई संजय हबीबजी, बहुत-बहुत बधाई इस सान्द्र लघुकथा पर और साधुवाद इसके सफल निर्वहन पर.

आपकी प्रस्तुत लघुकथा अपने सार्थक इंगित से पाठकों को झकझोर देने का माद्दा रखती है. अन्योक्तियाँ, वक्रोक्तियाँ, व्यंग्योक्तियाँ आदि आजकी राजनीति ही नहीं आजके शातिर समाज का अन्योन्याश्रय हिस्सा हो गयी हैं. इसमें वो लोग तो अत्यंत सिद्धहस्त हैं जो अपने धुरंधर मस्तिष्क की सारी ऊर्जा अपने आपको प्रतिस्थापित बनाये रखने में खर्चते रहते हैं.


कथा का में नायक का द्विअर्थी बोलाना शीर्षक को सार्थकता तो देता ही है, श्लेषात्मक गहनता से बातें भी कह जाता है जो उसके स्टैण्ड को बेहतर रूप से रख देता है -- आप सबको, देश को यह समझना चाहिए... और समझना होगा.. कि ‘गांधी’ जी के पदचिह्नों पर, उनके दिखाये, बताए, सुझाए रास्तों पर चलना ही हमारी प्रथम प्राथमिकता एवं प्रतिबद्धता है !

हा हा हा हा....  बहुत खूब ! .. वाह-वाह !

और, एक गाँधी का जी उसके साथ है तो पहले गाँधी का जी उसके दायरे से बाहर है ..    हा हा हा हा...

यह प्रयोग सटीक लगा है भाई !  बहुत खूब !... . :-)))))))) 


बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, भाई.  दिल से बधाई.


एक बात :
प्रथम प्राथमिकता जैसे शब्द-समुच्चय से बचें. प्राथमिकता का अर्थ ही है कार्यसूची में सबसे पहले किया जाने वाला कार्य.
शुभ-शुभ

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 6:38pm

गाँधी के पदचिन्हों पर चलना तो बड़ी बात है, उनको समझना ही मुश्किल है. हम गाँधी को यदि समझ लें तो देश, समाज, व्यक्ति की बहुत सारी दिक्कतें दूर हो जायें.लेकिन आज हमारे पास फुर्सत कहाँ? आज की इस भौतिकतावादी व बाजारवादी संस्कृति में गाँधी प्रासंगिक नहीं समझे जाते. वो बस दीवार पर टेंगा एक चित्र हैं जिस पर साल में एक बार फूल-माला चढ़ाना होता है.

इस सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on October 3, 2013 at 4:46pm
प्रशसनीय ढंग से शब्दचित्र उभरा और सफलतम ढंग से एक बिखराव का सिमटना बता गया . बधाई संजयजी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 3:04pm

आदरणीय संजय जी ..इस सारगर्भित सन्देश भरी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 3, 2013 at 9:22am

आदरणीय संजय भाई, सीमित शब्दों में बात कह जाना बहुत ही कठिन होता है. आपकी रचनाओं में यह गुण हमेशा मिलता है.बधाई...

Comment by vandana on October 3, 2013 at 7:33am

बेहतरीन कटाक्ष आदरणीय संजय जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service