For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आइना सबको दिखाया जाये

२१२२/११२२/२२

झूठ अब सामने लाया जाये

आइना सबको दिखाया जाये

तीरगी है तो उदासी कैसी

दीप फ़ौरन ही जलाया जाये

आज दिल में है बड़ी बेचैनी

साक़िया  भर के पिलाया जाये

लाडली वो भी किसी मा की है

फिर बहू  को न सताया जाये

तोड़ डाला जो खिलौना उसने

उसको इतना न रुलाया जाये

बात गर करनी मोहब्बत की तो 

दिल से नफरत को मिटाया जाये

रोज बस कहते हवादिस  आते 

आशु लड़ना भी सिखाया जाये 

डॉ आशुतोष मिश्र

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 875

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on September 24, 2013 at 3:41pm

आदरणीय आशुतोष जी खूबसूरत गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 24, 2013 at 2:02pm

आदरणीय परवीन जी , आदरणीया मीना जी ...मेरी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से मेरा मनोबल बढ़ा है ..हार्दिक धन्यवाद के साथ 

Comment by Meena Pathak on September 24, 2013 at 12:02pm

बहुत सुन्दर गज़ल .. बधाई स्वीकारें 

Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 11:49am
आदरणीय आशुतोष जी .. बहुत अच्छी ग़ज़ल है .... बधाई स्वीकारें !
लाडली वो भी किसी माँ की है
बेटियों को न सताया जाये... यह शेर विशेष तौर से पसंद आया !
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 24, 2013 at 10:23am

आदरणीय बागी सर ..आपका मार्गदर्शन एक लम्बे अरसे से प्रतीक्षित था ..आपकी पारखी नजरों से बच पाना बड़ा मुश्किल होता है ..आपके नजरिये से देखने पर एक नयी दृष्टी मिलती है ...सर आखिरी शेर मैंने ये सोचकर लिखा था की लोग बस मुश्किलों की बात ही किया करते हैं पर उनसे कैसे निपटा जाए ये नहीं बताते ...निपटने का हुनर अगर आ जाए तो परेशानी का दर ही नहीं ..ऐसा मैं सोचता हूँ ..यह सही है की नहीं इसपर मार्गदर्शन आप ही कर सकते हैं ..आपका स्नेह और आशीर्वाद इसी तरह भाबिस्य में भी मिलता रहे ..इसी आकांक्षा के साथ ..सादर प्रणाम 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 24, 2013 at 10:15am

आदरणीया शालिनी जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 24, 2013 at 10:14am

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आयी ..आपके यही स्नेह बना रहे ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 24, 2013 at 10:12am

आदरणीय गिरिराज जी ..आपके मार्गदर्शन के अनुरूप सुधार भी करूंगा और भविष्य में ध्यान भी रखूंगा ..आपका स्नेह मुझे सतत हौसला देता है ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 24, 2013 at 10:10am

आदरणीय शर्मा जी ..हौसला आफ्जाये के लिए हार्दिक धन्यवाद ..यूं ही स्नेह बनाए रखें 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2013 at 8:15am

आइना सबको दिखाया जाये

आज सच सबको बताया जाये  …………वाह वाह, खुबसूरत मतला । 

तीरगी है तो उदासी कैसी

दीप फ़ौरन ही जलाया जाये  ………… बढ़िया कहन, 

आज दिल में है बड़ी बेचैनी

साकी जी भर के पिलाया जाये  ……. सानी में बात नहीं बन रही, हाला / प्याला जी भर के पिलाया जाये 

उसको फौलादी बनाना है तो

उसको भूखा न सुलाया जाये  ………यह क्या बात हुई , अगर फौलाद नहीं बनाना है तो भूखा सुलायेंगे ? भर्ती का शेर लगा । 

लाडली वो भी किसी मा की है

बेटियों को न सताया जाये  ………. बेटियों को न सताया जाय !!! भाई किसी को न सताया जाय ।  

तोड़ डाला जो खिलौना उसने

उसको इतना न रुलाया जाये  …… बढ़िया शेर । 

बात गर करनी मोहब्बत की तो 

दिल से नफरत को मिटाया जाये …. बढ़िया शेर, पर कुछ नया कहन होना चाहिए था । 

रोज बस कहते हवादिश आते 

आशु लड़ना भी सिखाया जाये  ………इस शेर तक मैं नहीं पहुँच सका । 

आदरणीय डॉ साहब, सच कहूँ तो आनंद नहीं आया, या यह कहूँ की आप जल्दबाजी में यह ग़ज़ल कही है । बहरहाल इस प्रयास पर बधाई । 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service