For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐसा नही है 
कि रहता है वहाँ घुप्प अन्धेरा 
ऐसा नही है 
कि वहां सरसराते हैं सर्प 
ऐसा नही है 
कि वहाँ तेज़ धारदार कांटे ही कांटे हैं 
ऐसा नही है 
कि बजबजाते हैं कीड़े-मकोड़े 
ऐसा भी नही है 
कि मौत के खौफ का बसेरा है 

फिर क्यों 
वहाँ जाने से डरते हैं हम 
फिर क्यों 
वहाँ की बातें भी हम नहीं करना चाहते 
फिर क्यों 
अपने लोगों को
बचाने की जुगत लागाते हैं हम 
फिर क्यों 
उस आतंक को घूँट-घूँट पीते हैं हम 
फिर क्यों 
फिर क्यों.....

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 23, 2013 at 5:45pm

बेहद सशक्त रचना आदरणीय अनवर जी बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2013 at 4:03pm

फिर क्यों ? प्रश्न करती जवाब मांगती रचना (जिसके जवाब शायद गर्भ में छिपे है) के लिए हार्दिक बधाई श्री अनवर भाई  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 22, 2013 at 1:38pm

बहुत बढ़िया व् सशक्त रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय अनवर साहब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2013 at 8:17pm

आदरणीय अनवर भाई , सुन्दर , सशक्त रचना के लिये बधाई !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 21, 2013 at 8:11pm

फिर क्यों 
अपने लोगों को
बचाने की जुगत लागाते हैं हम 
फिर क्यों 
उस आतंक को घूँट-घूँट पीते हैं हम 
फिर क्यों 

आदरणीय अनवर जी ..न जाने क्यों ....आतंक बढ़ता ही जाता है और हम कमजोर ,,बड़ा प्रश्न है ...सोचना है बदलना है
सुन्दर रचना ....बधाई


भ्रमर ५

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 4:48pm

शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by Abhinav Arun on September 21, 2013 at 7:30am

सुन्दर सशक्त रचना हार्दिक शुभकामनायें !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
18 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service