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कन्या पूजन -- लघु कथा

 उमा दादी ने जब बड़े प्यार से सभी कन्याओं को चरण धो धो कर जमीन पर बिछे आसन पर बैठाया और रोली कुमकुम का टीका लगा कर  सभी कन्याओं को चुनरी ओढ़ाई और भोजन परोस कर वही बगल मे हाथ जोड़ कर बैठ गईं - “भोजन जिमों मेरी माता रानी ।"

अचानक उनके बीच मे बैठी उमा दादी की पोती उठ खड़ी हुई  - “ आप गंदी हो दादी ! आज कितने प्यार से खिला रही हो रोज तो माँ को कहती हो बेटी पैदा करके रख दी । अब बताओ अगर बेटियाँ नहीं पैदा होती तो तुम कन्या कहाँ से लाती और किसको खिलाती, कैसे कन्या पूजन करती ?"

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by annapurna bajpai on September 22, 2013 at 12:41am
आदरणीय सुरेन्द्र कुमार जी आपका आभार ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 22, 2013 at 12:01am

बहुत बढ़िया सार्थक सन्देश देने में समर्थ लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई अन्नापूर्णा  जी |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 21, 2013 at 11:26pm

बहुत बढ़िया लघुकथा, बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by MAHIMA SHREE on September 21, 2013 at 10:07pm

घर की बड़ी बुजुर्ग स्त्रियाँ भी अपने ही घर में बच्चियों के साथ कैसे दोहरा मापदंड रखती ..बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत हुआ है  कन्या भ्रूण हत्या का सबसे बड़ा कारण भी बुजुर्ग महिलाओ  की यही मानसिकता बढ़ावा देता है ... बहुत -२ हार्दिक बधाई आदरणीया   

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 21, 2013 at 8:21pm

दोहरे चरित्र और दिखावेपन को तमाचा मारता हुआ ...
.सुन्दर लघु कथा ..काश बेटी बेटे का फर्क मिट सके तो आनंद अति आये
...बधाई

आदरणीया अन्नपूर्णा जी जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by annapurna bajpai on September 21, 2013 at 6:19pm

adarniy Ashutosh ji apka abhar .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 4:29pm

आदरणीय अन्नपूर्णा जी ..सुंदर लघु कथा के माध्यम से आपने समाज के दोहरे चरित्र को उजागर करने का सुन्दर प्रयास किया है ..मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by annapurna bajpai on September 20, 2013 at 10:40pm

आपका हार्दिक आभार आ0 भण्डारी जी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 9:22pm

आदरणीया अन्नपूर्णाजी , सुन्दर लघुकथा , पोती के भोलेपन मे की गई शिकायत  मे समस्या हल भी छिपा दिख रहा है !! बधाई !!

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