For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो क्षणिकाएं (राम शिरोमणि पाठक )

१ -उस दिन

रोज़ की तरह
उस दिन भी वो मिलीं मुझसे
हँसते हुए
लेकिन हँसी
अजीब सी लगी उनकी
जैसे कोई ईमानदार कर्मचारी
बेइमान अफ़सर को इस्तीफ़ा सौपे
और वो मुस्कुरा दे
**********************************
२-ऐसा भी

रक्त पिपासु कीड़ा
आखिरी बूँद तक चूस गया
अरे ये क्या?
शिकारी कुत्ते भी है
हड्डियाँ चबाने के लिए
*******************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:41pm

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सुरेन्द्र   कुमार  जी //सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:14pm

प्रिय शिरोमणि जी .. जबरदस्त क्षणिकाएँ ....दर्द आज के दिनों का .....सब कुछ है आज ऐसा इस समाज में 
आभार 
भ्रमर ५

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 6:58pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची जी//स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर प्रणाम 

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 6:56pm

बहुत आभार आदरणीया विजयाश्री जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 6:54pm

बहुत आभार आदरणीय भाई सलीम  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 6:53pm

बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी //सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 18, 2013 at 5:10pm

प्रिय राम शिरोमणि जी 

दोनों ही क्षणिकाएं एक से बढ़ कर एक हैं 

इस संवेदनशील गंभीर लेखन पर ढेर सारी बधाई 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 3:45pm

सुंदर क्षणिकाओं के लिए हार्दिक बधाई राम शिरोमणि  पाठक जी 

Comment by saalim sheikh on September 18, 2013 at 3:36pm

 आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी बेहद सुन्दर क्षणिकाएं बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on September 18, 2013 at 1:01pm

सुन्दर क्षणिकायें ।

बधाई, आदरणीय राम जी

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... "
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service