For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक पुरानी रचना को कुछ गेय बनाने का प्रयास किया है। देखें, कितना सफल रहा।

 

इन नयनों में आज प्रभू

आकर यूं तुम बस जाओ

जो कुछ भी देखूं मैं तो

एक तुम ही नजर आओ

 

धरती-नभ दूर क्षितिज में

ज्यों आलिंगन करते हैं

मैं नदिया बन जाऊं तो

तुम भी सागर बन जाओ

 

वह सूरत दिखती उसको

जैसी मन में सोच रही

सब तुमको ईश्वर समझें

मेरे प्रियतम बन जाओ

 

देर भई अब तो कान्हा

मत इतना तुम तड़पाओ

लुका-छिपी, खेल न खेलो

मन में मेरे बस जाओ

-        बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 12, 2013 at 9:10pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 5:26pm

रचना पहले की है, कह कर आपने बाँध दिया. :-))))

वैसे, सीखने के लिहाज से यह प्रयास सही है. 

लेकिन -

जो कुछ भी देखूं मैं तो

एक तुम ही नजर आओ .. .  इन पंक्तियों का आपने क्या कर दिया है, साईं ?

फेलुन फेलुन कीजिये न,  इस रचना में गेयता खुद ब खुद बैठती जायेगी..  :-)))

शुभ-शुभ

Comment by MAHIMA SHREE on September 11, 2013 at 9:23pm

सुंदर भक्तिरस में रची प्रस्तुति ..बधाई आदरणीय ब्रिजेश जी

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 11, 2013 at 9:17pm

आदरणीय ब्रिजेश भाई जी अत्यंत सुन्दर सहज विन्रम प्रेम पगी प्राथना भगवान श्री कृष्ण से की है आपने बहुत ही सुन्दर दृश उकेरा है आपने आनंद आ गया. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें भाई जी एक शंका है क्या प्रभू ठीक है. आम बोलचाल में तो बोल देते हैं

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2013 at 8:40pm

धरती-नभ दूर क्षितिज में

ज्यों आलिंगन करते हैं

मैं नदिया बन जाऊं तो

तुम भी सागर बन जाओ///बहुत ही सुन्दर भाव //हार्दिक बधाई आपको आदरणीय भाई ब्रिजेश जी //सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 11, 2013 at 7:25pm

आ0 बृजेश भाई जी, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। आपको तहेदिल से बहुत-बहुत बधाई। भाई जी कृपया यह बंद पुनः देखना चाहें....
//वह सूरत दिखती उसको
जैसी मन में सोच रही
सब तुमको ईश्वर समझें
मेरे प्रियतम बन जाओ.//..... सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2013 at 7:07pm

आ0  बृजेश भाई , गेयता तो है !! उम्दा कृष्ण भजन के लिये बधाई !!

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 10:42pm

अति सुंदर आ0 बृजेश जी , गेयता मुखर हो रही है ये मेरा पक्ष है बाकी अन्य सुधी जन बता सकेंगे । इस भजन को हम सब इस तरह गाते थे ..... दया कर दान भक्ति का प्रभू हमको सिखा देना .....

 

आपकी रचना का तर्ज कुछ  कुछ इसी से मिलता है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service