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देख तिरंगा लहराता

मन उठा, भ्रमर सा जागा है

 

पुलकित सूरज की किरनें

रंग तीन यह जो चमकें

इस मंद हवा की लहरों पर

मन झूम-झूमकर गाता है

 

सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है

 

जीवन मेरा धन्य हुआ

भारत में जो जन्म हुआ

ये प्राण निछावर हैं इस पर

यह धरती अपनी माता है

.

बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

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Comment by बृजेश नीरज on September 10, 2013 at 7:34pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 10, 2013 at 7:34pm

आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 10, 2013 at 3:43pm

आदरणीय बृजेश जी 

बहुत खूबसूरत देशप्रेम से ओत प्रोत गीत 

हार्दिक बधाई 

Comment by Vindu Babu on September 9, 2013 at 6:24pm
देशप्रेम से ओत-प्रोत अति सुन्दर गीत के लिए आपको ढेरों बाधाई आदरणीय।
जय हिंद!
सादर
Comment by बृजेश नीरज on September 8, 2013 at 10:16pm

आदरणीय जवाहर जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 8, 2013 at 4:31pm

आदरनीय बृजेश जी, सादर अभिवादन!

देश प्रेम से रची बसी रचना मैंने आज ही देखी . मन मुग्ध हुआ!

Comment by बृजेश नीरज on September 8, 2013 at 9:22am

आदरणीय भ्रमर जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 7, 2013 at 11:44pm

सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है

प्रिय नीरज जी सचमुच इस माटी की बात ही निराली है अपनी जान अपनी शान है तिरंगा ..सुन्दर भाव सुन्दर सीख

आभार
भ्रमर ५

Comment by बृजेश नीरज on September 7, 2013 at 10:21pm

आदरणीय जितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 7, 2013 at 10:20pm

आदरणीय आशुतोष जी आपका बहुत आभार!

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