For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस-

टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस |
अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस |


खड़ी निकाले खीस, रेप वह भी तो झेले |
न्याय मरे प्रत्यक्ष, कोर्ट के सहे झमेले |


नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||

.

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on September 2, 2013 at 8:06pm

आभार आदरणीय-आ जितेन्द्र जी, अखिलेश कृष्ण जी, केवल जी , विजय मिश्र जी-
आदरणीय केवल जी !
दरअसल जब कोई शब्द,  प्रवाह की दृष्टि से बाधक बन जाता है तो ऐसी छूट ले लेता हूँ-
जैसा कि इस केस में है-
टला से अंत करना प्रवाह में बाधक था-
इसलिए फैसला भी जोड़ना पड़ा-
सादर-

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 2, 2013 at 7:48pm

आ0 रविकर भाई जी,  सादर प्रणाम!   भाई जी, मैं पढ़ा है कि कुझडलियां छन्द  जिस शब्द, जैसे..’टला’ से प्रारम्भ होता है  तो उसी शब्द...’टला’ पर ही समाप्त भी होना चाहिए किन्तु आपके कुण्डलियों में अक्सर ऐसा होता है कि आप दो शब्दों का प्रयोग करते हैं।  यथा....’टला फैसला’ क्या यह  उचित है...?।  कृपया स्पष्ट करना चाहें।  आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 2, 2013 at 7:29pm

रविकर भाई - सप्रेम राधे-राधे ॥ टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस | सभी पंक्तियों में तीखा व्यंग्य है-- बधाई ।

Comment by विजय मिश्र on September 2, 2013 at 7:10pm
उपहासास्पद लगता है यह न्याय प्रणाली और इसके अनुच्छेदों का क्या कहना . सब कुव्यवस्थित है और अपराधियों केलिए ........ .
Comment by राजेश 'मृदु' on September 2, 2013 at 6:55pm

आपके अंदाज निराले हैं,  जिस तरह से आप अपनी बात रखते हैं इसमें मुझे बार-बार बाबा नागार्जुन की याद आ जाती है, सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 1, 2013 at 11:31pm

अति सुंदर रचना प्रस्तुति, बधाई आदरणीय रविकर जी

Comment by रविकर on September 1, 2013 at 9:13pm

बहुत बहुत आभार
आप सभी महानुभावों का -
सादर-

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 1, 2013 at 8:19pm

समसामयिक उपयुक्त कथ्य ! ...न्याय पालिका को विचार करना चाहिए नहीं तो न्यायधीश के जगह सॉफ्टवेअर डाल कर फैसला निकाल लेते ..फार्मूला बिठाकर समीकरण हल कर लेते!

Comment by Satyanarayan Singh on September 1, 2013 at 7:59pm

आदरणीय रविकर जी सादर,आपके निम्न विचार से पुर्णतः सहमत हूँ.

नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 1, 2013 at 10:13am

आपका तो सचमुच जवाब नहीं ..सादर प्रणाम के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service