For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी यूं ही बैठकर सोचते हुए

कल्पना की असीम गहराइयों में

डूबते उतराते

भाव ध्वनियां बनकर

खुद रूप लेने लगते हैं

शब्द का।

 

शब्द बोलते हैं

एक भाषा

और फिर

गडमड हो जाते हैं

एक दूसरे में।

 

रह जाती है

एक ध्वनि

एक स्वर

वह जो

परम भाव है

परम ध्वनि

परम अक्षर!

 

जहां से उपजे

वहीं समा गए

परम शून्य में।

निर्विकार शान्ति!

 

भाव मिले जब शून्य को, मन में ज्ञान समाय।

तन माटी से ऊपजा, तन माटी मिल जाय।।

                - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 23, 2013 at 8:26pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 7:53pm

आदरणीय बृजेश भाई जी , सुंदर पंक्तियों मे बहुत कुछ कहा है आपकी कलम ने बधाई आपको ।

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 6:57am

आदरणीय जिंदल साहब आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 6:55am

आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by MAHIMA SHREE on July 17, 2013 at 8:24pm

वाह !! आदरणीय ब्रिजेश जी .. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ... बहुत -२ हार्दिक बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on July 17, 2013 at 8:10pm

आदरणीया कुंती जी आपका आभार!

Comment by coontee mukerji on July 17, 2013 at 7:51pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति.बृजेश जी.

Comment by बृजेश नीरज on July 17, 2013 at 5:50pm

आदरणीय रक्ताले जी आपका हार्दिक आभार! आपका अनुमोदन मुझे सदैव बल प्रदान करता है।
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on July 17, 2013 at 5:49pm

आदरणीय निकोर जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 17, 2013 at 5:48pm

आदरणीय अरुन भाई आपका हार्दिक आभार! आपको रचना पसंद आयी, मेरा प्रयास सार्थक हुआ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
1 hour ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service