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नवगीत/ जीवन जीना है

क्या सुनना है

क्या कहना है

जीना औ मरना है

 

क्या पाया है

जो खोना है

दिन ही बस गिनना है

सपने सारे

सूखा मारे

घिस घिस कर चलना है

देह को बस गलना है

 

मन से हारा

पर हूँ जीता

रो रो कर हॅंसना है

किसको रोएं

पीर सुनाएं

सबका ही कहना है

बस जीवन जीना है

 

खेत को सींचें

अंकुर फूटें

बस इंतजार करना है

रात हुई थी

सुबह भी होगी

सोए, अब जगना है

यह जीवन जीना है।

              - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 7:10pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!
कभी कभी प्रयोग करने का प्रयास नुकसानदायक हो जाता है। वही इसके साथ हुआ। इसको मार्गदर्शन हेतु ही डाला था। आप लोगों की टिप्पणियों से मुझे दिशा मिली है।
आगे मेरा प्रयास रहेगा कि मेरी रचना से आपको निराशा न हो।
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2013 at 7:05pm

आदरणीय बृजेश जी..

इस रचना को और समय देना था न..बहुत निखार सकते थे. जीवन और उसकी कसौटियों पर चलना..इस विषय में तो कई कई बिम्बों को प्रयुक्त किया जा सकता था.

शायद समय की कमी रही हो!!  अब आपकी कथ्य समृद्ध माधुर्य युक्त रचनाओं को पढते रहने के बाद आपसे अपेक्षाएं भी तो बढ़ गयी हैं.

प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें 

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:51pm

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!
आपके कहे का आगे ध्यान रखूंगा। आपको संतुष्ट कर सकूं इसका प्रयास अगली रचना में अवश्य करूंगा।
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:49pm

आदरणीय शिज्जू जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:48pm

आदरणीय श्याम जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:47pm

आदरणीय नीरज जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 5:32pm

इस कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई भाई बृजेश नीरज जी.

आखिर के बंदों तक पहुँचते आपका धैर्य आपको धोखा देने लगा प्रतीत हो रहा है. ..  :-))))

किन्तु प्रयास के लिए पुन्ः बधाई.. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 11, 2013 at 2:21pm

बृजेश जी आपकी आशावादिता आपकी रचनाओं में भी झलकती है, आशाएँ जीने के लिए नयी नयी राहें तलाश के देती हैं, उम्मीदों से भरी इस रचना के लिए आपको बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on July 11, 2013 at 11:03am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."
Comment by Neeraj Nishchal on July 11, 2013 at 10:48am

वाह बहुत ही सुन्दर
काफी गहरा आध्यात्मिक भाव
भाव झलकता है आपकी कविता में
आदरणीय बृजेश जी
बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

कृपया ध्यान दे...

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