For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत/ जीवन जीना है

क्या सुनना है

क्या कहना है

जीना औ मरना है

 

क्या पाया है

जो खोना है

दिन ही बस गिनना है

सपने सारे

सूखा मारे

घिस घिस कर चलना है

देह को बस गलना है

 

मन से हारा

पर हूँ जीता

रो रो कर हॅंसना है

किसको रोएं

पीर सुनाएं

सबका ही कहना है

बस जीवन जीना है

 

खेत को सींचें

अंकुर फूटें

बस इंतजार करना है

रात हुई थी

सुबह भी होगी

सोए, अब जगना है

यह जीवन जीना है।

              - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 7:10pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!
कभी कभी प्रयोग करने का प्रयास नुकसानदायक हो जाता है। वही इसके साथ हुआ। इसको मार्गदर्शन हेतु ही डाला था। आप लोगों की टिप्पणियों से मुझे दिशा मिली है।
आगे मेरा प्रयास रहेगा कि मेरी रचना से आपको निराशा न हो।
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2013 at 7:05pm

आदरणीय बृजेश जी..

इस रचना को और समय देना था न..बहुत निखार सकते थे. जीवन और उसकी कसौटियों पर चलना..इस विषय में तो कई कई बिम्बों को प्रयुक्त किया जा सकता था.

शायद समय की कमी रही हो!!  अब आपकी कथ्य समृद्ध माधुर्य युक्त रचनाओं को पढते रहने के बाद आपसे अपेक्षाएं भी तो बढ़ गयी हैं.

प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें 

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:51pm

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!
आपके कहे का आगे ध्यान रखूंगा। आपको संतुष्ट कर सकूं इसका प्रयास अगली रचना में अवश्य करूंगा।
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:49pm

आदरणीय शिज्जू जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:48pm

आदरणीय श्याम जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 5:47pm

आदरणीय नीरज जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 5:32pm

इस कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई भाई बृजेश नीरज जी.

आखिर के बंदों तक पहुँचते आपका धैर्य आपको धोखा देने लगा प्रतीत हो रहा है. ..  :-))))

किन्तु प्रयास के लिए पुन्ः बधाई.. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 11, 2013 at 2:21pm

बृजेश जी आपकी आशावादिता आपकी रचनाओं में भी झलकती है, आशाएँ जीने के लिए नयी नयी राहें तलाश के देती हैं, उम्मीदों से भरी इस रचना के लिए आपको बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on July 11, 2013 at 11:03am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."
Comment by Neeraj Nishchal on July 11, 2013 at 10:48am

वाह बहुत ही सुन्दर
काफी गहरा आध्यात्मिक भाव
भाव झलकता है आपकी कविता में
आदरणीय बृजेश जी
बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service