For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत/ जीवन जीना है

क्या सुनना है

क्या कहना है

जीना औ मरना है

 

क्या पाया है

जो खोना है

दिन ही बस गिनना है

सपने सारे

सूखा मारे

घिस घिस कर चलना है

देह को बस गलना है

 

मन से हारा

पर हूँ जीता

रो रो कर हॅंसना है

किसको रोएं

पीर सुनाएं

सबका ही कहना है

बस जीवन जीना है

 

खेत को सींचें

अंकुर फूटें

बस इंतजार करना है

रात हुई थी

सुबह भी होगी

सोए, अब जगना है

यह जीवन जीना है।

              - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 23, 2013 at 8:30pm

आदरणीया अन्नपूर्णा बहन आपका हार्दिक आभार! आप अवश्य प्रयास करिए। मैं भी चाहता हूं कि आप पद्य में भी गद्य की तरह सतत रचना करें।
सादर!

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 8:05pm

adarniy brejesh bhai ji , bahut hi badhiya navgeet likha hai apne , mai bhi prayas karungi .

Comment by बृजेश नीरज on July 14, 2013 at 10:01pm

आदरणीय रविकर जी आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by रविकर on July 14, 2013 at 8:42pm

सुन्दर भाव
आदरणीय-
शुभकामनायें -


जीना पर चढ़ते रहो, एक एक फुट रोज |
जीवन-वन का उच्चतम, तरुवर फल लो खोज ||
जीना=सीढ़ी

Comment by बृजेश नीरज on July 14, 2013 at 8:28pm

आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Vindu Babu on July 14, 2013 at 5:53pm
आदरणीय इस उत्कृष्ट रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें।
रचना के भाव बहुत अच्छे लगे।
सादर
Comment by बृजेश नीरज on July 13, 2013 at 5:26pm

आदरणीय निकोर साहब आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 13, 2013 at 5:25pm

आदरणीय राम भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by vijay nikore on July 13, 2013 at 10:43am

सुन्दर रचना के लिए अतिशय बधाई, आदरणीय।

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 8:23pm

मन से हारा

पर हूँ जीता

रो रो कर हॅंसना है

किसको रोएं

पीर सुनाएं

सबका ही कहना है

बस जीवन जीना है////////सही कहा आपने 

आदरणीय भाई ब्रिजेश जी बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने//////हार्दिक बधाई  आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service