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गीत

आज फिर बरसे हैं
बादल जोर से.
मन बहकने सा लगा है ...!!
 
धुल गए पत्ते सभी
लग रहे सब ही नए ,
छू गई हौले से फिर ,
खुशबू कोई,
मन महकने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से.
 
इक घटा है घोर काली 
लड़ रही है पास वाली ,
प्रीत की,लगतीं पुजारन
बिजलियाँ,
मन दहकने सा लगा है ...!!
आज फोर बरसे हैं बादल जोर से.
 
सांवली सी हो गई हूँ
और चंचल हो गई हूँ,
गा रही हूँ,
गीत तेरी याद में ,
मन तड़पने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से

     ~.भावना.~
मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment by coontee mukerji on June 8, 2013 at 10:17am

बहुत सुंदर भावना जी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 8, 2013 at 10:15am

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई भावना तिवारी जी 

Comment by Pankaj Trivedi on June 7, 2013 at 6:36pm

सुन्दर मनोंभाव से सजे इस गीत के लिए बधाई

Comment by राजेश 'मृदु' on June 7, 2013 at 6:01pm

इस मुकम्‍मल गीत के लिए आपको मेरी तरफ से बधाई

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 7, 2013 at 4:50pm

भाव सुन्दर भावना जी 

Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 3:19pm

आदरणीया बहुत सुंदर कथ्य है। आपने कहा कि यह गीत है तो जरा मुझे इस गीत के शिल्प पर मार्गदर्शन प्रदान करने की कृपा करें। मुझे तो हर बंद में मात्रायें समान नहीं दिखतीं।
सादर!

Comment by ram shiromani pathak on June 7, 2013 at 2:34pm

 भावना जी इस सुन्दर गीत के लिए बधाई////"आज फोर बरसे हैं बादल जोर से"अंडरलाइन टंकण अशुद्धि को इंगित कराने के लिए है !!प्रयासरत रहिये शुभ शुभ///

Comment by वेदिका on June 7, 2013 at 2:22pm
सुंदर गीत ...बारिश की फुहारों में भीगे भीगे बोल ...अनुपम 
गा रही हूँ,
गीत तेरी याद में ,
मन तड़पने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से

 

Comment by D P Mathur on June 7, 2013 at 12:57pm

आज फिर बरसे हैं ,बादल जोर से ,
मन बहकने सा लगा है,
मात्र इंसानों के ही नही ,
सभी सजीवों के मन को हर्षित करने लगा है !
बरखा के प्रथम आगमन के साथ आपकी इस रचना का स्वागत !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2013 at 12:02pm
आदरणीया.."गीत तेरी याद में, मन तड़पने सा लगा है...!! आज फिर बरसे बादल जोर से" सुंदर रचना..सरल शब्दों में..,शुभकामनाऐं

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