For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे

जीवन में सद्काम का,........... हुआ सदा सम्मान |

आये दिन अब कर्म के,........ जाने सजग किसान ||

 

कारी रैना भोर में,..................... बीती देकर ज्ञान |

चार प्रहर में दोपहर,............. देती अधिक थकान ||

 

सूली पर मनवा चढा,............ मानव हुआ निराश |

ताक रहा उठ बैठकर,............. वह नीला आकाश ||

 

राहत देते सांझ में,............. दिन के सब सद्कर्म |

मानव के उत्साह का,.............यह अद्भुत ही मर्म ||  

 

होवे हर दिन एक सा,                पाऊं जो मैं माप |

तेरा मेरा सब धरा,................. नाप सके तो नाप ||

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 467

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay yadav on July 21, 2013 at 11:53am

आदरणीय श्री अशोक सर जी ,

सादर प्रणाम 

इस मंच पर आपकी रचनाओं कों पढ़कर बहुत गौरव महसूस कर रहा हूँ |

यह मंच हमारे लिए ,सीखने व प्रयोग करने के लिए किसी यूनिवर्सिटी से कम नही हैं |सही अर्थो में छन्दों का प्रयोग धीरे धीरे समझ में आ रहा हैं |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 11, 2013 at 11:05pm

राहत देते सांझ में,............. दिन के सब सद्कर्म |

मानव के उत्साह का,.............यह अद्भुत ही मर्म ||  

प्रिय अशोक भाई ...छंद बद्ध  अच्छी लय  के सरल भावमय सुन्दर दोहे ...बधाई 

जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 23, 2013 at 11:34pm

आदरणीया शालिनी जी आदरेया सीमा जी दोहे पसंद करने का बहुत बहुत शुक्रिया मेरा रचना कर्म सफल हुआ. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 23, 2013 at 11:33pm

आदरणीय बृजेश जी सादर, आपके स्नेह से उत्साहवर्धन हुआ. यूँ ही स्नेह बनाए रखें. सादर आभार.

Comment by seema agrawal on May 23, 2013 at 7:35pm

कारी रैना भोर में,..................... बीती देकर ज्ञान |

चार प्रहर में दोपहर,............. देती अधिक थकान ||

बहुत सुन्दर दोहे अशोक जी .........


Comment by shalini rastogi on May 23, 2013 at 5:45pm

आदरणीय अशोक जी .. आपके सभी दोहे अत्यंत गहन भावों से भरपूर हैं ... बहुत ही सुन्दर !

Comment by बृजेश नीरज on May 23, 2013 at 4:48pm

आदरणीय रक्ताले साहब आपके रचनाकर्म को देखकर लगता है सबकुछ कितना सहज और सरल है। आपकी भावाभिव्यक्ति में गजब की सहजता है। खुद लिखने बैठता हूं तो लगता है कि छंदबद्ध लिखना कितना कठिन है।
आपके लेखन को नमन! इस सुंदर रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Shabla Arora left a comment for गिरिराज भंडारी
"आभार आदरणीय 🙏🙏"
2 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोरआ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर // वाह.. मूरख मनुआ क्या तुझे…"
32 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद प्रतिभा जी"
42 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धरती की बहुएं हवा, सागर इसका सेठ।सूरज ने बतला दिया, क्या होता है जेठ।।// जेठ को गजब रोचक ढंग से…"
46 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, उचित है। बहुत बढिया "
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे सिरजे आपने, करते जल गुणगान। चित्र हुआ है सार्थक, इनमें कई निदान।। सारे दोहे आपके, निश्चित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धूप छांव में यूं भला, बहुत अधिक है फर्क। शिज़्जू भाई कर रहे, गर्मी में भी तर्क।। तृष्णा की गंभीरता,…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बहुत सुगढ़ दोहावली हुई है प्रदत्त चित्र पर। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"मेघ, उमस, जल, दोपहर, सूरज, छाया, धूप। रक्ताले जी आपने, दोहे रचे अनूप।।  नए अर्थ में दोपहर,…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"काल करे बेहाल सा, व्याकुल नीर समीर।मोम रोम सबसे लिखी, इस गर्मी की पीर।। वन को काट उचाट मन, पांव…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"श्रम अपना भगवान है, जीवटता है ईश प्यास बुझाएँगे सदा, उठा गर्व से शीश// चित्र के आलोक में एक श्रमिक…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी।सार्थक सुंदर दोहावली की हार्दिक बधाई। छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service