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जीवन में सद्काम का,........... हुआ सदा सम्मान |

आये दिन अब कर्म के,........ जाने सजग किसान ||

 

कारी रैना भोर में,..................... बीती देकर ज्ञान |

चार प्रहर में दोपहर,............. देती अधिक थकान ||

 

सूली पर मनवा चढा,............ मानव हुआ निराश |

ताक रहा उठ बैठकर,............. वह नीला आकाश ||

 

राहत देते सांझ में,............. दिन के सब सद्कर्म |

मानव के उत्साह का,.............यह अद्भुत ही मर्म ||  

 

होवे हर दिन एक सा,                पाऊं जो मैं माप |

तेरा मेरा सब धरा,................. नाप सके तो नाप ||

मौलिक/अप्रकाशित.

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Comment by ajay yadav on July 21, 2013 at 11:53am

आदरणीय श्री अशोक सर जी ,

सादर प्रणाम 

इस मंच पर आपकी रचनाओं कों पढ़कर बहुत गौरव महसूस कर रहा हूँ |

यह मंच हमारे लिए ,सीखने व प्रयोग करने के लिए किसी यूनिवर्सिटी से कम नही हैं |सही अर्थो में छन्दों का प्रयोग धीरे धीरे समझ में आ रहा हैं |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 11, 2013 at 11:05pm

राहत देते सांझ में,............. दिन के सब सद्कर्म |

मानव के उत्साह का,.............यह अद्भुत ही मर्म ||  

प्रिय अशोक भाई ...छंद बद्ध  अच्छी लय  के सरल भावमय सुन्दर दोहे ...बधाई 

जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 23, 2013 at 11:34pm

आदरणीया शालिनी जी आदरेया सीमा जी दोहे पसंद करने का बहुत बहुत शुक्रिया मेरा रचना कर्म सफल हुआ. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 23, 2013 at 11:33pm

आदरणीय बृजेश जी सादर, आपके स्नेह से उत्साहवर्धन हुआ. यूँ ही स्नेह बनाए रखें. सादर आभार.

Comment by seema agrawal on May 23, 2013 at 7:35pm

कारी रैना भोर में,..................... बीती देकर ज्ञान |

चार प्रहर में दोपहर,............. देती अधिक थकान ||

बहुत सुन्दर दोहे अशोक जी .........


Comment by shalini rastogi on May 23, 2013 at 5:45pm

आदरणीय अशोक जी .. आपके सभी दोहे अत्यंत गहन भावों से भरपूर हैं ... बहुत ही सुन्दर !

Comment by बृजेश नीरज on May 23, 2013 at 4:48pm

आदरणीय रक्ताले साहब आपके रचनाकर्म को देखकर लगता है सबकुछ कितना सहज और सरल है। आपकी भावाभिव्यक्ति में गजब की सहजता है। खुद लिखने बैठता हूं तो लगता है कि छंदबद्ध लिखना कितना कठिन है।
आपके लेखन को नमन! इस सुंदर रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई!

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