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डमरू घनाक्षरी / गीतिका 'वेदिका'

डमरू घनाक्षरी अर्थात बिना मात्रा वाला छंद
३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में

लह कत दह कत, मनस पवन सम 

धक् धक् धड़कन, धड कत परबस

डगमग डगमग, सजन अयन पथ,

बहकत हर पग, मन जस कस तस 

बस मन तरसत, बस मन पर घर 

अयन जतन तज, अचरज घर हँस 

चलत चलत पथ, सरस सरस पथ,

सजन सजन पथ, हरस हरस हँस 

                              गीतिका 'वेदिका'

                             १ : १ ६ अपरान्ह

                        १ / ० ५ / २ ० १ ३

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by वेदिका on May 24, 2013 at 2:36pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी! आपको डमरू छंद अच्छा लगा , आपने सराहना कर के मेरा उत्साह सम्वर्धन किया ,,,अस्तु आपका आभार। 

यह मेरा प्रथम प्रयास ही है ...डमरू छंद पर ..और अभी अभी मैंने हाथ आजमाइश करना प्रारम्भ किया है छंद विधा पर ... 
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 23, 2013 at 12:55am
"Aadrniya...gitika 'vedika ' ji, aapki "dmru ghanakshri " panktiyan pdi..chhando ka mujhe gyan to nhi, pr bda aascharychakit rh gya...bina matraon ke aapne bhut khoob likha hai
Comment by वेदिका on May 2, 2013 at 11:23pm

आदरनीय सौरभ जी!
प्रयास पर उत्साह वर्धन के लिए आभार
प्रयास प्रथम ही है मेरा ..और मैंने कोशिश भी की है ये छंद मात्र लघु वर्णों का समुच्च ही न हो बल्कि उसका कोई सार्थक अर्थ भी हो ..मार्ग दर्शन बनाये रखिये


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Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2013 at 11:13pm

आपने इस घनाक्षरी की भूमिका में लिखा है कि यह बिना मात्रा के शब्दों वाली घनाक्षरी लिखने की विधा है. उस हिसाब से आपका प्रयास सराहनीय है. 

Comment by वेदिका on May 2, 2013 at 8:04pm

आदरणीय प्रदीप कुमार जी!, आदरणीय बृजेश जी!, आदरनीय अरुण जी!, आदरणीय मनोज जी!, आदरणीय रक्ताले जी!, आदरणीया वन्दना तिवारी जी!,
आप सभी के स्नेह के लिए बहुत कृताथ हूँ ...डमरू छंद पर मेरा प्रथम प्रयास ही है ये ....आपने  इसे सर आँखों पर लेकर मुझे गौरान्वित ही नही बल्कि गर्वीली भी कर दिया ...आभार!

Comment by Vindu Babu on May 2, 2013 at 9:44am
अच्छी टमरू धनाक्षरी बन पड़ी है आदररेया वेदिका जी।
सादर बधाई स्वीकारें।
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 1, 2013 at 11:22pm

आदरणीया गीतिका जी सुन्दर डमरू घनाक्षरी प्रस्तुत की है. बहुत सुन्दर भाव लिए. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by manoj shukla on May 1, 2013 at 8:20pm
बहुत सुन्दर रचना ...बधाई स्वीकार करें आदर्णीया
Comment by अरुन 'अनन्त' on May 1, 2013 at 6:11pm

वाह आदरणीया गीतिका जी वाह डमरू घनाक्षरी प्रस्तुत की है आपने, हमे तो नचा ही दिया आपने डमरू बजाकर क्या कहने लाजवाब हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on May 1, 2013 at 5:43pm

गीतिका जी वाह! आपका कमाल अभी मुशायरे में देखा! अब यहां! इस सुन्दर प्रयास के लिए आपको बधाई!

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