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!!! नारी तुम स्तुति की देवी हो !!!

नारी तुम स्तुति की देवी हो!
मां वसुधा सी प्यारी तुम,
संस्कृति की श्रध्दा देवी हो।

नारी तुम प्रगति प्रदर्शक हो!
कर में वीणा-सुरधारा तुम,
चंचलमय मृदुला देवी हो।

नारी तुम धैर्य-बलशालिनी हो!
अबला सीता क्षमा दान तुम,
मां शक्ति की दुर्गा देवी हो।

नारी तुम राधा सी प्यारी हो!
मीरा बाला सी अनुरागिनी तुम,
सती सावित्री सी देवी हो।

नारी तुम देश की कीर्ति हो!
सच्चे माने में इन्दिरा तुम,
भारत-सौभाग्य की देवी हो।

नारी तुम रिश्तों की बंधन हो!
दादी-मां-बहन-पत्नी-पुत्री तुम,
क्यों? बहू सी अग्नि देवी हो।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 29, 2013 at 8:09pm

आ0 विजय निकोर जी,  आपका आशीष वचन पाकर मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 29, 2013 at 8:01pm

आ0 आषीश त्रिवेदी जी,  आपका समर्थन पाकर मैं धन्य हुआ। आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by vijay nikore on April 29, 2013 at 6:58pm

 

 

दिमाग में गंभीर चिंतन - जाल फैलाती हुई आपकी पंक्तियाँ सच में सराहनीय बन पडी हैं !

सादर,

विजय निकोर

 

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 29, 2013 at 10:38am

नारी के प्रति सम्मान दिखाती सुंदर रचना जो नारी शक्ति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 28, 2013 at 9:36am

 आ0 रक्ताले जी,  सादर प्रणाम!  जी,  यह रचना हमारी बहुओं को समर्पित है।  आखिर इन्हीं वहुओं के प्रति ही समाज इतना बुरा वर्ताव क्यों करता है?   यह घृणित कार्य अतिअशोभनीय व निन्दनीय है।    आपको रचना अच्छी लगी।   आपका बहुत बहुत अभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 28, 2013 at 9:17am

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, सुन्दर रचना प्रस्तुति.मगर  अंतिम पद में "क्यों? बहू सी अग्नि देवी हो।" में देवी की जगह "दाही" लिखा जाना उचित होता. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 28, 2013 at 7:55am

आदरणीय  जवाहर लाल जी,  सुप्रभात!   आपके सानिध्य और आशीष वचन से मेरी रचना सफल हुई।  आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 28, 2013 at 7:52am

आदरणीया तनेजा जी,  सुप्रभात!   आपके प्रसंशनीय वचनों से मेरी रचना सफल हुई।  आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 28, 2013 at 7:10am

उषा जी के विचारों से सहमत!

Comment by Usha Taneja on April 27, 2013 at 10:51pm

अति सुंदर शब्दों में नारी के प्रति पिरोई हुई सम्मान की भावना. काश, सभी इसे अपना सकें! 

नारी को देवियों के रूप में पूजने वाले Kewal Prasad जी, आप धन्य है.

सादर...

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