For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! हे मां !!!

!!! हे मां !!! 

मां अर्थात् गुरू !

गुः - गुप अंधेरा, गहन तिमिर।

रूः - प्रकाशमय, अतिशय उजियारा।

अर्थात् तमसो मा जोतिर्गमय!

अंधकार से प्रकाश की ओर प्रेरित करने वाली

जननी! मां!

अनादि काल से

सब कुछ सहती आ रही है।

हां! प्रसव पीड़ा के सम 

नवजात के जन्म सरीखा ही।

नरक में उलटे टंगे को

स्वर्ग में सीधे पैरों पर खड़ा करने तक,

अन्धकार-अज्ञान को

प्रकाशवान-ज्ञानमय '

बनाने के लिए उद्वेलित करती

निरन्तर अथक प्रयासरत है।

हां! यही जननी -

हमारी मां है!!!

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 625

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 8:56pm

आ0  रक्ताले सर जी,  आपका आशीष पाकर मन खिल गया।   आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 30, 2013 at 8:35pm

वाह! बहुत सुन्दर भाव बांधती सुन्दर रचना. बहुत खुबसूरत. सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय केवल प्रसाद जी.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:48pm

आ0  अजय खरे जी,   जी सर,  आपके समर्थन और आशीष  से मेरी रचना सार्थक हुई और मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:45pm

आ0  लड़ीवाला जी,   जी सर,  आपने बिलकुल सही कहा कि’माँ ही गुरु माँ ही पोषण कर्ता माँ ही दुखो की हर्ता।’  जी, हर मर्ज की दवा केवल मां ही है।  आपके समर्थन और आशीष  से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:41pm

आ0 श्याम नारायण जी, आपके समर्थन और आशीष से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:39pm

आ0 कुन्ती  जी,  मेरे मन में सदा से ही मां के प्रति ऐसा विश्वास है कि इस दुनियां में यदि मां न होती तो हम शायद इतना विकास नहीं कर पाते।   आपके समर्थन और आशीष  से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Dr.Ajay Khare on April 30, 2013 at 3:23pm

kewal ji maan ki mahima ka sundar daan badhai

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 30, 2013 at 3:10pm

बहुत् सच कहा है आपने भाव प्रधान रचना के लिए बधाई -

सब कुछ सहती उफ़ न करती प्रसव् पीड़ा भी सहती

अपने तन से दूध पिलाकर तन से बलवान बनाती

जन्म दे माँ ही प्रथम गुरु जीवन में उजियारा करती

माँ ही गुरु माँ ही पोषण कर्ता माँ ही दुखो की हर्ता

  

Comment by बसंत नेमा on April 30, 2013 at 2:22pm

बहुत सुन्दर रचना ........बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on April 30, 2013 at 12:25pm

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service