For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी से
कुछ भी माँगना
मुझे लगता है
बहुत बुरा...

कुछ भी मांगने से पहले
करना पड़ता है अभ्यास
कैसे हुआ जाएगा प्रस्तुत
देने वाले के सामने
समय कौन सा उचित हो
जब दाता का मूड ठीक हो
किस अंदाज़ में माँगा जाए
भाषा कैसी हो
कि पिघल जाए दाता...

मांगने का अर्थ है
कि गिरवी रख दिया जाए
अपना समूचा अस्तित्व
साथ ही मन में
रहा आये संशय
कि मांगने पर भी
कुछ न मिले तब....?

बड़ी शर्मिंदगी भर देता है
मांगने का अहसास
मेरे खुद्दार अब्बा
इसीलिये कहते हैं
कि मांगना है बेटा
तो मांगो शाह से
भिखारी से नहीं....

और इस नज़रिए से देखता हूँ
तो हर शाह मुझे
भिखारी दिखलाई देता है....
और मैं बिन मांगे लौट आता हूँ...

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 10:12pm

और इस नज़रिए से देखता हूँ
तो हर शाह मुझे
भिखारी दिखलाई देता है....
और मैं बिन मांगे लौट आता हूँ...

बहुत सुंदर सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई, अनवर जी....

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 9, 2013 at 9:24pm

क्या खूब , एक कसक ......
आपसे प्रेरणा मिलती रहेगी |
सादर

Comment by coontee mukerji on April 7, 2013 at 2:36am

 किसी के सामने हाथ फैलाना  कितना कठिन है खासकर जो स्वाभिमानी हो . अनवर जी उत्तम रचना के लिये बहुत बहुत बधाई हो.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 6, 2013 at 11:56pm

वाह ! लाजवाब रचना !!!

एक उम्दा विषय पर लिखी गयी उत्कृष्ट कविता के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार कीजियेगा आदरणीय अनवर जी

Comment by ram shiromani pathak on April 6, 2013 at 2:46pm

महोदय सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार पाने के सादर बधाई स्बीकारें।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 6, 2013 at 1:23pm

और इस नज़रिए से देखता हूँ
तो हर शाह मुझे
भिखारी दिखलाई देता है....
और मैं बिन मांगे लौट आता हूँ..

बधाई सर जी 

सादर 

Comment by Vindu Babu on April 6, 2013 at 12:55pm
महोदय सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार पाने के सादर बधाई स्बीकारें।
ईश्वर आपको साहित्यिक सफलता के शिखर पर पहुंचाए...
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 31, 2013 at 9:19pm

बहुत बढ़िया प्रस्तुति सुंदर विचार आपकी बातों का मै भी अनुमोदन करती हूँ हार्दिक बधाई|

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 31, 2013 at 10:13am

बहुत बहुत उम्दा साहब

बधाई हो आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 31, 2013 at 7:29am

नीचे लिखी प्रतिक्रियाओं का अनुमोदन करता हूँ!

मंगना है तो मांगो शाह से...... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service