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मुझको सरल बनाइये ।

पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।

मुझे शक है अपने आप पर बिश्वास भी खुद पर नहीं । 

मेरी पकड़ भी कमजोर है हाथों में  मेरे बल नहीं । 

मेरी वाहं कस कर थामिए मुझे लक्ष्य तक पहुंचाइये । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।

मै भटक रहा हूँ इधर उधर भटकन भी जन्म  जन्म की है । 

इस पार तो मझधार है उस पार राह सनम की है । 

बन कर मेरे माझी प्रभु उस पार तक ले जाइए । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।

कुंठित है मेरा मन प्रभु संसार के प्रहार से । 

घायल है मेरी आत्मा सर्बत्र दुःख की मार से । 

अपनी मधुर मुस्कान से मुझको मधुर बनाइये । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।

मेरा भार तेरे सर पे है क्यूँ भार अपने सर मै  लूं । 

मेरी फ़िक्र कर रहा है तू क्यूँ फ़िक्र मै अपनी करूँ । 

अनजान राहों में हे प्रभु मेरे हमसफ़र बन जाईये । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये । 

पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये । 

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Comment by mrs manjari pandey on March 11, 2013 at 7:40pm

 

पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।

 आदरणीय मुकेश कुमार जी। बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना हेतु।

Comment by vijay nikore on March 8, 2013 at 12:30pm

प्रार्थना से सींची हुई यह रचना अच्छी लगी।

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 8, 2013 at 8:55am

सदमार्ग पर जाने की राह में सुन्दर पंक्तियाँ. हादिक बधाई.

Comment by वेदिका on March 7, 2013 at 10:39pm

आदरणीय मुकेश कुमार सक्सेना जी!
सरल भावों से गठित सरल प्रार्थना, जिसे समझने के लिए ईश्वर को भी सरलता होगी।
शुभकामनायें
सादर वेदिका

Comment by बृजेश नीरज on March 7, 2013 at 10:20pm

सुन्दर भावों को लिए हुए प्रभु से यह प्रार्थना उन तक जरूर पहुंचेगी।

Comment by रविकर on March 7, 2013 at 5:02pm

बढ़िया है आदरणीय-
शुभकामनायें-
कुछ प्रिंटिंग मिस्टेक है-
सुन्दर भाव

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 7, 2013 at 4:49pm

रचना एक अर्चना के रूप में कथ्य की द्रष्टि से अच्छी लगी, बधाई स्वीकारे श्री मुकेश कुमार सक्सेना जी, मुझको सरल बनाएइये,

मुझको तरल बनाइये वाह ! पर शेष छल कपट,भटकाव, अपने आप पर विश्वास, मधुर व्यवहार जैसे अलंकार हम्मरे सतत 

प्रयास और कर्म पर बहुत कुछ निर्भर करते है | इसके लिए स्वयं का आत्मबल मजबूत करने के हमें आवश्यकता है भाई 

श्री मुकेश सक्सेना जी, यह आप भी भली भाँती जानते है |

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