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ऐ मेरी मुश्किलों सब मिलके मेरा सामना करो

ऐ  मेरी  मुश्किलों  सब मिलके   मेरा सामना करो

 

मै  अकेला ही  बहुत हूँ  तुमसे निबटने के लिए ,

ऐ मेरी मुश्किलों सब मिलके मेरा सामना करो ।

आज मै  भी तो देखूं तुम्हारा जोर जरा,

तुम भी देखो मै  डरूं  तुमसे या तुम मुझसे डरो ।

 

जिन्दगी से भी कहाँ हार मैंने मानी है ?

छीन लाया हूँ कई बार मौत से इसको ,

हे मुसीबतों तुम्हारा स्वागत है ,

है मुनासिब तुम्हे की आज से तुम मुझसे डरो ।

 

हर नए दुःख में मै  खुद में नया बल पाता हूँ ।

खुदा के और भी नज़दीक खुद को पाता हूँ ।

अब सताएगा भला कौन जानता हूँ जब मै ,

डरो किसी से नहीं या तो करो या तो मरो ।

 

मुझे ना चाहं है यश की ना भय है अपयश का ,

न धन न पद ही न सम्मान लुभा पायेगा। 

ईश का  आशीष है सर पर मेरे तो सर्वदा,

मै नहीं डरता हूँ चाहें जैसे मुझपे वार करो

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Comment by Ashok Kumar Raktale on May 31, 2013 at 11:00pm

मुझे ना चाहं है यश की ना भय है अपयश का ,

न धन न पद ही न सम्मान लुभा पायेगा। 

ईश का  आशीष है सर पर मेरे तो सर्वदा,

मै नहीं डरता हूँ चाहें जैसे मुझपे वार करो.........सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय मुकेश कुमार सक्सेना जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2013 at 12:11pm

जिंदगी में मुश्किलों से न हारने का हौसला देती अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई आ० मुकेश सक्सेना जी 

Comment by Meena Pathak on May 27, 2013 at 4:27pm

ईश्वर का आशीर्वाद साथ हो तो फिर क्यूँ डरना मुश्किलों से .......... बेहद खूबसूरत रचना आदरणीय मुकेश जी .. बधाई स्वीकारें 

Comment by विजय मिश्र on May 27, 2013 at 11:54am

 ईश्वर में निष्ठा और परिस्थितिओं से दो-चार करने का माद्दा हो तो सचमुच इस संघर्षमय जीवन को डरने की क्या जरूरत ? 

"अब सताएगा भला कौन जानता हूँ जब मै ,

डरो किसी से नहीं या तो करो या तो मरो । "--- यह संकल्प प्रयाप्त है जीवन प्रसस्तता केलिए . प्रशंसनीय है मुकेशजी .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 24, 2013 at 11:35pm
आदरणीय...मुकेश जी, बहुत ही अच्छे तरीके से आपने मुश्किलों से सामना करना करना सिखा दिया, "जिंदगी से भी कहाँ हार मानी है, छीन लाया हूँ कई बार मौत से इसको " ...शुभकामनाऐं

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