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शोर

जिसने खुद को ही, ज़माने से छुपा रखा है |

जाने किस शख्स ने नाम उसका, खुदा रखा है ||

सब बहाने से उसे, याद किया करते हैं |

दिल में दुनियाँ के, अजाब खौफ बिठा रखा है ||

हाथ तकदीर बनाने के ही, काम आते हैं |

क्या हथेली की लकीरों में, भला रखा है ||

खूब देता है कभी, छीन कभी लेता है |

उसने दुनियाँ का, तमाशा सा बना रखा है ||

खून का नाम नहीं, दिल में, मगर हिम्मत देखो |

इसने हर ज़हन में, तूफ़ान उठा रखा है ||

खूब बर्दाश्त की, कुव्वत से, नवाज़ा है जहाँ |

सबका जीना यहाँ आसान बना रखा है ||

अपनी नाकाम तमन्ना के, दफ़न की खातिर |

दिल के कोने में ही, शमशान बना रखा है ||

किसी यत्न या बहाने से, खुद को समझाओ |

तुम्हारे दिल ने ‘शशि’ शोर मचा रखा है ||

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 4:34pm

सभी अशआर अच्छे लगें , बहुत बहुत शुभकामनायें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2013 at 10:13am

जिसने खुद को ही, ज़माने से छुपा रखा है |

जाने किस शख्स ने नाम उसका, खुदा रखा है ||

अपनी नाकाम तमन्ना के, दफ़न की खातिर |

दिल के कोने में ही, शमशान बना रखा है ||बहुत बढ़िया ये दोनों शेर तो बहुत अच्छे लगे दाद कबूल करें 

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2013 at 10:11pm

अपनी नाकाम तमन्ना के, दफ़न की खातिर |

दिल के कोने में ही, शमशान बना रखा है ||

बहुत सुन्दर!

Comment by मोहन बेगोवाल on February 23, 2013 at 8:00pm

मेहरा जी,

दिल को झ्झोडती है, तुमाहरी रचना 

अपनी नाकाम तमन्ना के, दफ़न की खातिर |

दिल के कोने में ही, शमशान बना रखा है || -बहुत अच्छा शेर है

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 23, 2013 at 7:12pm
//जिसने खुद को ही,जमाने से छुपा रखा है।
जाने किस शख्स ने नाम,उसका खुदा रखा है॥//
आपने तो ईश्वर का भेद ही खोल दिया आदरणीय।जो खुद दुनिया में गुमनाम है,हमें क्यों उस पर गुमान है।
बधाई।
Comment by रविकर on February 23, 2013 at 5:55pm

वाह वाह वाह-
ये हुई ना बात-बढ़िया ललकार -
छुप छुप कर करता रहे, हरदम तू खिलवाड़ |
जिसको चाहे चीर दे, चाहे जिसको फाड़ |
चाहे जिसको फाड़, चीर का हरण कराता |
बढ़ा बढ़ा के चीर, बड़ा अपना बन जाता |
तू तो है रे धूर्त, चलाता रहता चक्कर |
हर दम रहे अमूर्त, कलयुगे क्यूँ छुप छुप कर ||

Comment by Dr.Ajay Khare on February 23, 2013 at 5:06pm

mehra ji bahut khoob rachna 

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