For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक प्रयोग “चौपाई-त्रिभंगी” गीत

एक प्रयोग “चौपाई-त्रिभंगी” गीत

 

दृग सरिता मुख चन्द्र चकोरी, केश मेघ तन स्वर्ण किशोरी

कैसे करूँ कल्पना कोरी, होय नहीं समता भी थोरी

 

अधरों में रस भर, लाज शर्म धर, नैन झुकाए, मुस्काती

सकुचाती काया, लगती माया, दूर खड़ी हो, इठलाती

मन आह भरे है, चाह करे है, चंचल मन अस, उकसाती

हर रात जगे हम, भर भर कर दम, चैन नहीं है, दिन राती

 

अंतर्मन की जोरा जोरी, कहूँ दशा क्या तुमसे गोरी

दृग सरिता मुख चन्द्र चकोरी, केश मेघ तन स्वर्ण किशोरी

 

है प्रेम भरा मन, पुलकित योवन, नित अमृत सा, बरसाती

दृग गहरे काले, कर मतवाले, मद मदिरा सा, छलकाती

यूँ हँसती प्यारी, जग से न्यारी, पागल मन को, कर जाती

पुष्पित तन कोमल, देखूं पल पल, घडी नहीं वो, बिसराती

 

बात सुनो अब गोरी मोरी, जिस घर तुम वो होय तिजोरी

दृग सरिता मुख चन्द्र चकोरी, केश मेघ तन स्वर्ण किशोरी

 

मन बोल न पाता, है सकुचाता, कितना तुमसे, प्रेम करूँ

तुम रूठ न जाओ, दूर न जाओ, सोच सोच ये, बात डरूं

क्या तुम समझोगी, जान सकोगी, मेरे प्रेमी, इस मन को

जो मन आवारा, हो बेचारा , छोड़ चुका है इस तन को

 

मन ने बाँधी मन से डोरी, मिलो कभी तो चोरी चोरी

दृग सरिता मुख चन्द्र चकोरी, केश मेघ तन स्वर्ण किशोरी

 

  

संदीप पटेल “दीप”   

Views: 754

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:09pm

आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर प्रणाम
रचना के इस प्रयास को सराहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाए रखिए
सादर आभार आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 11:35am

दुबारा पढ़ी ये रचना उतना ही मजा आया बहुत सुंदर चमत्कृत करता प्रयास हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 19, 2013 at 10:42am

प्रिय संदीप जी ,

बहुत सुन्दर मुग्धकारी प्रयास हुआ है चौपाई और त्रिभंगी छंद के फ्यूज़न गीत का..

ऐसे नए प्रयोगों को पढ़ वास्तविक रूप में साहित्य के आकाश की वृहदता का आभास होता है.

सादर.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 8:08pm

आदरणीय अशोक सर जी , आदरणीय विजय सर जी , आदरणीय लक्षमण सर जी, आदरणीय अरुण सर जी , आदरणीया आरती जी , आदरणीय भाई राम जी , परम आदरणीय गुरदेव सौरभ सर जी , सादर प्रणाम

इस प्रयोग को सराहने के लिए आप सभी का ह्रदय से आभारी हूँ

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर

आदरणीय गुरुदेव

आपने सच कहा है

शायद प्रयोग को जल्दी पूरा करने की चेष्ठा में आतुर हो जाता हूँ ..................किन्तु अब से आपको शायद शिकायत का कम कम से अवसर दूं गुरुदेव

मुझ पर ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 18, 2013 at 7:10pm

छंद-समुच्चय में रचित पंक्तियाँ निहार के बाद पुलकित मनोदशा का सुन्दर वर्णन कर रही हैं.

मन बोल न पाता, है सकुचाता, कितना तुमसे, प्रेम करूँ

तुम रूठ न जाओ, दूर न जाओ, सोच सोच ये, बात डरूं..   वाह !

कुछ भाव पंक्तियाँ सांस्कृतिक काव्य में उचित प्रतीत नहीं होतीं. प्रतीत होता है कि आपने उन्हें प्रयोग के तौर पर लिया है.

यथा, बात सुनो अब गोरी मोरी, जिस घर तुम वो होय तिजोरी   यह पंक्ति सुन्दर भाव-प्रवाह में झटके की तरह लगी है.

शिल्प की दृष्टि से रचना उत्तम है.

हृदय से बधाई स्वीकार करें.

Comment by ram shiromani pathak on February 18, 2013 at 5:41pm

बहुत खूब संदीप जी ..बधाई स्वीकारें 

Comment by Aarti Sharma on February 18, 2013 at 4:41pm

बहुत खूब संदीप जी ..बधाई स्वीकारें 

Comment by Abhinav Arun on February 18, 2013 at 3:37pm

वाह संदीप जी छंद सुन्दर और भाव पूर्ण बने हैं हार्दिक बधाई आपको !!

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 18, 2013 at 2:25pm

मन मोहित हो गया, अति सुन्दर छंद त्रिभंगी, हार्दिक अबाहर स्वीकारे भाई श्सरी संदीप कुमार पटेल जी

Comment by vijay nikore on February 18, 2013 at 8:24am

आदरणीय संदीप जी:

 

“चौपाई-त्रिभंगी” .. बहुत सुन्दर, बहुत सुन्दर।

बधाई।

 

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service