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"ग़ज़ल "

आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।

बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।

अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।

खंडहर आज तक सलामत है 
नींव कहती है घर रहा होगा 

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।

रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।

  • संदीप पटेल "दीप"

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Comment by Ashok Kumar Raktale on February 19, 2013 at 11:24pm

बहुत सुन्दर गजल आदरणीय संदीप जी हर शेर दाद के काबिल. बधाई.

Comment by मोहन बेगोवाल on February 19, 2013 at 10:35pm

संदीप जी , किस शेअर पे दाद दें सभी अशरार उम्दा हैं

Comment by Aarti Sharma on February 19, 2013 at 8:46pm

वाह संदीप ,,बेहद सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें,...खासकर इन पंक्तियों पर

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।

गुल छुप  सकते है उनकी खुशबु नही..

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:41pm

आदरणीय  संदीप  जी  अच्छा  लगा  - " अपने हो रहे हैं बेगाने  तो कान  भर रहा होगा "उर्जा का संचार होता है।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:29pm

आदरणीय अजर सर जी सादर प्रणाम
इस प्रयास को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:29pm

आदरणीय गुरुदेव अनुमोदन के लिए आभार आपका स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर प्रणाम 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:07pm

sandeep ji really aap bahut badia likhta hai mai bhi aapki prena se achha likhne ki koshish karunga badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 19, 2013 at 12:06pm

खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा..

जय हो-जय हो ... वाह वाह वाह !!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:06pm

आदरणीय आशीष भाई, आदरणीय विजय सर जी , आदरणीया विनीता जी आदरणीय विजय मिश्र जी आदरणीय बृजेश जी आप सभी का उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल से आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
सादर प्रणाम

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:02pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आदरणीय वीनस सर जी प्रणाम
ग़लती हो गयी है अब मुकम्मल करने का प्रयास करूँगा
आपने सही ध्यान खींचा है
एक दम से ग़लती हुई है और पता ही नही चला शायद
आदरणीय गुरुदेव की तरह
मैं भी कहन के प्रवाह मे अनदेखी कर गया और ग़लती हो गई

देखिए कुछ सुधार किए हैं

प्यार उसको अखर रहा होगा
बेबफा पर जो मर रहा होगा


और खंडहर वाले को यदि यूँ कर लें तो

खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा


नींव पक्की है और गहरी भी
खंडहर पहले घर रहा होगा


आदरणीय गुरुदेव और वीनस सर जी आप दोनो का हृदय से बहुत बहुत आभारी हूँ
स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बनाए रखिए

कृपया ध्यान दे...

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