आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।
बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।
अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।
खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा ।
गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।
रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।
Comment
बहुत सुन्दर गजल आदरणीय संदीप जी हर शेर दाद के काबिल. बधाई.
संदीप जी , किस शेअर पे दाद दें सभी अशरार उम्दा हैं
वाह संदीप ,,बेहद सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें,...खासकर इन पंक्तियों पर
गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।
गुल छुप सकते है उनकी खुशबु नही..
आदरणीय संदीप जी अच्छा लगा - " अपने हो रहे हैं बेगाने तो कान भर रहा होगा "उर्जा का संचार होता है।
आदरणीय अजर सर जी सादर प्रणाम
इस प्रयास को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत आभार
आदरणीय गुरुदेव अनुमोदन के लिए आभार आपका स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर प्रणाम
sandeep ji really aap bahut badia likhta hai mai bhi aapki prena se achha likhne ki koshish karunga badhai
खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा..
जय हो-जय हो ... वाह वाह वाह !!!
आदरणीय आशीष भाई, आदरणीय विजय सर जी , आदरणीया विनीता जी आदरणीय विजय मिश्र जी आदरणीय बृजेश जी आप सभी का उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल से आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
सादर प्रणाम
आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आदरणीय वीनस सर जी प्रणाम
ग़लती हो गयी है अब मुकम्मल करने का प्रयास करूँगा
आपने सही ध्यान खींचा है
एक दम से ग़लती हुई है और पता ही नही चला शायद
आदरणीय गुरुदेव की तरह
मैं भी कहन के प्रवाह मे अनदेखी कर गया और ग़लती हो गई
देखिए कुछ सुधार किए हैं
प्यार उसको अखर रहा होगा
बेबफा पर जो मर रहा होगा
और खंडहर वाले को यदि यूँ कर लें तो
खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा
नींव पक्की है और गहरी भी
खंडहर पहले घर रहा होगा
आदरणीय गुरुदेव और वीनस सर जी आप दोनो का हृदय से बहुत बहुत आभारी हूँ
स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बनाए रखिए
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