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सुन ले कायर पाकिस्तान

सुन ले कायर पाकिस्तान
नहीं झुकेगा हिन्दुस्तान

बात से पहले समझायेंगे
तुम क्या हो ये बतलायेंगे
भारत के वीरों का गहना 
संयम शांति जतलायेंगे 

अगर समझ फिर भी न पाया 
मारें थप्पड़ खींचें कान ....................... 

गीदड़ की न चाल चलो तुम 
छुप छुप कर न वार करो तुम 
शेरों से लड़ने के खातिर
कुछ हाथी तैयार करो तुम 

बच्चा बच्चा वीर यहाँ का
हमको है खुद पर अभिमान .................................

घुसपैठी को आज तजो तुम 
हरदम मत षड़यंत्र रचो तुम 
सीखो कुछ पिछली हारों से  
तौबा करके आप बचो तुम 

झुकने न दें कभी तिरंगा
दुश्मन की हम ले लें जान .................................

चाहो जिससे हाथ मिलालो
अपनी ताकत खूब बढालो
लेकिन याद रखो भारत पर
अपनी तिरछी नज़र न डालो 

आँख फोड़ डालेंगे तेरी
सोच समझ लो तुम नादान ...................................

ताकत का दम भरने वाले
चोर फरेबी दिल के काले
अगर पडोशी हम न होते
पड़ जाते खाने के लाले

धोखेबाजो आज सम्हल लो 
वर्ना होगे अब कुर्बान ........................................

एक नहीं लाखों है वीर 
धीर धरें सब हैं गंभीर
घुटने टेके तुम सब जब भी 
दूध मांगते देते खीर 

देखो तुम अपनी आँखों से 
भारत माँ की बढती शान ...................................
 
लड़ने को भारत वीरों से 
थोड़े वीर बढालो अपने 
तोड़ो भ्रम के तुम जीतोगे
कहाँ देखते झूठे सपने 

अगर भला अपना है भाता
मत करना इसका अपमान ....................................


संदीप पटेल "दीप"

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Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 1:54pm

लड़ने को भारत वीरों से 
थोड़े वीर बढालो अपने 
तोड़ो भ्रम के तुम जीतोगे
कहाँ देखते झूठे सपने 

अगर भला अपना है भाता
मत करना इसका अपमान ....................................
बहुत बढ़िया चेतावनी देती रचना. सादर बधाई स्वीकारें भाई संदीप जी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 11, 2013 at 3:45pm
बंधुवर अनंत जी , आदरणीया डॉ प्राची जी , सादर प्रणाम 
रचना को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार 
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 
Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:17pm

वाह वाह वाह वाह ... मज़ा आ गया मित्रवर बहुत दिनों के बाद ऐसा जोश देखने को मिला है, शानदार दमदार रचना हार्दिक बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:06pm

बहुत बढ़िया गीत, 

सामयिक व सदा से ही ज्वलंत रहे इस विषय पर वीर रस से पगी रचना के लिए बधाई संदीप जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 10, 2013 at 3:46pm

आदरणीय गणेश सर जी , आदरणीय  प्रदीप सर जी सादर प्रणाम
आपने रचना को पढ़ा और उत्साह वर्धन किया इसके  लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद  और सादर
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 3:26pm

भारत को अपनी विदेशी निति पकिस्तान एवं चीन के बारे में पुनः विचार की आवश्यकता है 

रचना हेतु बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 2:34pm

वीर रस से ओत प्रोत अच्छी रचना, यदि रचना मात्राओं पर संयमित होती तो और आनंद आता, बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

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