==========ग़ज़ल===========
कभी तो पास में आकर सदा सुनो दिल की
ज़रा सी चाह और ये इल्तजा सुनो दिल की
कहीं भी आप रहो हो न कोई दर्दो गम
जुबाँ से मेरे निकलती दुआ सुनो दिल की
छलक गए है जो प्याले निगाह मिलते ही
यूँ ले रही है नज़र क्या रजा सुनो दिल की
ग़ज़ब हुनर जो लिए खेलते हो तुम दिल से
कभी कभी ही सही बेबफा सुनो दिल की
अगर मगर तो हमेशा बजूद में होगा
कभी तो "दीप" यूँ ही बेवजा सुनो दिल की
संदीप पटेल"दीप"
Comment
बंधुवर अनंत भाई जी सादर
आदरणीय प्रदीप सर जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई
इस हौसलाफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपसे दाद मिली
इसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय गणेश सर जी , सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल की कहन पसंद आई लेखन सफल हुआ
इस ग़ज़ल में
बहरे मुजास मुसम्मन मख्बून मक्तुअ ली है
म'फ़ा'इ'लुन फ़'इ'लातुन म'फ़ा'इ'लुन फ़ा'लुन
1212 1122 1212 22/ 112
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह सदैव अनुज पर बनाये रखिये
अगर मगर तो हमेशा बजूद में होगा
कभी तो "दीप" यूँ ही बेवजा सुनो दिल की
ya dil ki suno duniya vaalon yaa ham ko abhi chup rahne do.
bahut khoob.
badhai
मित्रवर बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल बन पड़ी है, सभी के सभी अशआर बढ़िया हैं खासकर ये बहुत ज्यादा पसंद आया हार्दिक बधाई.
छलक गए है जो प्याले निगाह मिलते ही
यूँ ले रही है नज़र क्या रजा सुनो दिल की
बहुत सुन्दर ग़ज़ल संदीप जी, सभी अशआर बहुत पसंद आये.. हार्दिक बधाई इस भाव प्रधान ग़ज़ल पर
संदीप भाई, ग़ज़ल कहन पर बहुत ही बढ़िया लगी, मैं वजन नहीं समझ सका, जरा बहर बताना चाहेंगे | शब्द शायद बेबफा बेवफ़ा होता है |
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